सच्चे राष्ट्र देश प्रेम वाले नेता....
सच्चे राष्ट्र देश प्रेम वाले नेता....
जनतंत्र का मतलब यह है कि सरकार जनता की, जनता के द्वारा और जनता के लिए बनाई गई है, लेकिन पूर्ण जनतंत्र तभी स्थापित हो सकता है जब किसी भी जनतंत्र के सारे नियम-कानून उस देश की जनता के द्वारा और जनता के लिए बनाये गए है।
विडंबना यह है कि 1947 में तकनीकी तौर पर हम आजाद हो गये थे, लेकिन आज भी अंग्र्रेजों के द्वारा हिन्दुस्तननियों के दमन शोषण के लिए बनाये गये कई कानून इस देश में चल रहे है, जिसके फलस्वरूप आजाद होते हुए भी, कानून हमारी आजादी की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं है। शायद हमारा 'जनÓ पीढ़ी दर पीढ़ी गुलाम ही बना रहेगा। कल अंग्रेजों के गुलाम थे, आज उनके व्यापारिक हितों के गुलाम है।
'समरथ को नहीं दोष गुस्साईÓ यूहीं नहीं कहा गया, हमारे देश में समर्थ लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे जो करें। गरीब अगर पापी पेट की भूख मिटाने के लिए रोटी चुराता है या बिना टिकट साधारण श्रेणी में रेल यात्रा करते पकड़े जाने पर सीधे जेल भेज दिया जाता है, परंतु बड़े-बड़े घोटाले बाज अफसर या नेताओं के सामान हमारे 'जनतंत्रÓ के कानून बिना दांत नाखून वाले शेर साबित होते हैं। ऐसा कब तक चलेगा 'समर्थवानÓ चोरी-डकैती करता रहेगा और साधारण जन देखता ही रहेगा।
विद्यालयों, शिशु, स्वास्थ्य केन्द्रों पर बच्चों के लिए विकास हेतु आई सामग्री के वितरण का ममला रहा हो या सरकारी तौर पर गरीबों को सस्ते अनाज वितरण का मामला हो। संक्षेप में सरकारी योजनाओं को अमल में लाने, सरकार अद्र्ध सरकारी प्रतिष्ठानों, कार्यालयों में खरीद-बिक्री के मार्ग में घोटाले आसानी से देखे जा सकते हैं। इन्हीं घोटालों के चलते साधारण भारतीय परेशान सा खड़ा है अब सवाल यह उठता है कि इस खतरनाक स्थिति से बचाव कैसे हो? इस पर गंभीरता से मंथन होना चाहिए। जनतंत्र को मजबूती देने के लिए हमें उचित जनप्रतिनिधि का चुनाव करना होगा। वर्तमान में राजनीतिक क्षेत्र में समाज के अनैतिक कार्यों में लिप्त लोगों का प्रभाव है व उनका वजूद बढ़ता जा रहा है। राजनीतिक दल भी ऐसे परिवेश से जुड़े जहां अनैतिक व असमाजिक व्यक्तियों को बोलवाला है। जनतंत्र में राजनीतिक सर्वाेपरि होता है, जब वहीं घोटालों में लिप्त पाया जायेगा। उसके अधीस्थ कार्य कर रहे अफसरों पर कौने नियंत्रण करेगा? यहीं प्रमुख कारण है देश का पूरा परिवेश घोटाले में लिप्त है। शायद अब सच्चे राष्ट्र देश प्रेम की भावना वाले नेताओं की आवश्यकता है।
....शुभकामनाओं के साथ...
दिसंबर-2010