पर्यावरण संरक्षण...
By Sameera, 5 February, 2013, 17:19
- 24 अक्टूबर-2009 को भोपाल स्थित प्रशासन अकादमी में अंतरराष्ट्रीय जलवायु कार्यवाही दिवस पर ''पर्यावरण संरक्षणÓÓ विषय पर ''समीराÓÓ के द्वारा ''संवादÓÓ और ''कार्यशालाÓÓ आयोजित की गई। पूरे दिवस चलने वाली इस परिचर्चा को तीन सत्रों में बांटा गया। प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि पर्यावरणविद् श्री अनिल माधव दवे जी थे व मुख्य वक्ता भिन्न-भिन्न क्षेत्र से आमंत्रित किए गए थे। दिनेश नायक (विधि सचिव), अजय दुबे (पर्यावरण विद्), प्रतिभा राजगोपालन (म.प्र. महिला संसाधन केंद्र), कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रशासन अकादमी के महानिदेशक श्री संदीप खन्ना जी ने की। द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता सुचित्रा बनर्जी (एच.ओ.डी. प्राणीशास्त्र), मंगला अनुजा (संचालक माधव सप्रे संग्रहालय), लोकेंद्र ठक्कर (एफको), डॉ. सुनीता यादव (कैंसर सर्जन) उपस्थित थे। स्वागत व संचालन क्रमश: सुश्री ममता तिवारी व राका आर्य द्वारा किया गया। ''समीराÓÓ की संपादक व ''न्यू समीरा संवेदना समितिÓÓ की अध्यक्ष श्रीमती मीरा सिंह ने पर्यावरण धर्म निभाने के लिए ''संकल्पÓÓ दिलवाया। तृतीय एवं अंतिम सत्र का समापन नगरीय एवं प्रशासन मंत्री श्री बाबूलाल गौर जी ने किया। इस अवसर पर समीरा ''घरेलू हिंसाÓÓ व पत्रिका से संबंधित वेबसाइट का लोकार्पण मा. श्री बाबूलाल गौर जी ने किया। ''पर्यावरण विषयÓÓ को ध्यान में रखते हुए अतिथियों का स्वागत पौधों एवं हस्तनिर्मित झंडों से किया गया।
- जनू-2010: समीरा संवेदना समिति महिला उत्थान एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत संस्था है। संस्था द्वारा महिला मुद्दों पर केन्द्रित 'समीराÓ नामक पत्रिका का प्रकाशन पिछले पांच वर्षों से लगातार हस्तनिर्मित (ईकोफ्रेडली) कागज पर कर पर्यावरण संरक्षण के लिए सतत प्रयत्न कर रही है। साधरण कागज का निर्माण पेड़ों की लुगदी से होता है। विश्व के काटे गए 35 प्रतिशत पेड़ कागज व्यवसाय की बलि चढ़ जाती है। एक शोध के अनुसार एक टन कागज के लिए 17 पूर्ण विकसित कृक्ष तथा ढ़ाई हजार गैलन जल की आवश्यकता होती है। हस्तनिर्मित कागज रद्दी, चिंदियों से निर्मित होता है और निर्माण की प्रक्रिया भी प्रदूषण रहित होती है। एक वर्ष में समीर पत्रिका ने 250 पूर्ण वृक्ष की बचत करती है। हस्तनिर्मित कागज की निर्माण की प्रक्रिया में 35 प्रतिशत कम एवं वायु प्रदूषण 75 प्रतिशत कम होता है।
- आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर 'समीरा संवेदना समितिÓ द्वारा भोपाल के मुख्य चौराहों पर पॉलोथीन पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग कर नागरिकों में जागरूता लाने के उद्देश्य से लोगों से पॉलोथीन का उपयोग न कर हस्तनिर्मित कागज से बने बैग एवं झोले उपयोग करने का आह्वान कराया साथ ही पर्यावरण को संरक्षित करने के उद्देश्य से सभी शहरवासियों से अपील की है कि पर्यावरण मित्र होने के नाते किसी भी तरके की पॉलोथीन एवं प्लास्टिक बैगों का उपयोग न करें। समिति द्वारा नागरिकों को हस्तनिर्मित कागज से बने बैग एवं झोलों का वितरण किया। इस प्रदर्शन में संस्था की अध्यक्ष मीरा सिंह सहित संस्था के सदस्य एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।