पुरुष अपनी मानसिकता को बदले...
पुरुष अपनी मानसिकता को बदले... हम लोकतांत्रिक और सभ्य देश होने का दावा करते हैं। यहां आम नागरिक भी किसी पर ज्यादती होने पर हस्तक्षेप का हक रखता है। गुवाहटी में एक मासूम लड़की पर हो रही ज्यादती रोकने में किसी नागरिक ने अपने इस हक का इस्तेमाल नहीं किया। एक लड़की का 'चीरहरणÓ होता देखकर चुप रहे एक मासूम लड़की को भीड़ के सामने 15-20 लड़के नोंचते-खसोटते हैं। भीड़ तमाशा देखती रहती है। वह मदद के लिए चिल्लाती है, लेकिन कोई हाथ मदद के लिए नहीं बढ़ता। किसी को भी उस पर दया नहीं आती। शर्मनाक यह भी कि लड़की ने मीडिया से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन वह उसे बेइज्जत होते शूट तो करता रहा, लेकिन 'ड्यूटीÓ पर होने की वजह से कुछ करने में 'असमर्थÓ था। मीडिया को भी तय करना पड़ेगा कि उसकी जिम्मेदारी में किसी मरते आदमी को बचाना प्राथमिकता है या उसे मरते हुए कैमरे में कैद करना? 'नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास रजत -नग-पग -तल में पीयूष स्त्रोत सी बहा करो जीवन के सुन्दर समतल मेंÓ नारी को इतना आदर सम्मान देने की जहाँ परम्परा रही हो उसे देवी के समकक्ष मान कर माँ की शक्ति रूप में पूजा की जाती हो वहीं पर उसके साथ आये दिन उसकी अस्मत के साथ भरपूर खिलवाड़ किया जाता है हालत यह है की मासूम बच्चियां तक आज सुरक्षित नहीं है उसके पीछे एक तो नारी मात्र उपभोग की वस्तु है यह मानसिकता बनी हुईं है। दुसरी तरफ उसकी सुरक्षा में पूरी लापरवाही बरती जा रही है। आज जबकि हम इक्कीसवीं सदी में कदम रख चुके है महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से लोहा ले रही है जिस देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति के रूप में विराजमान है जहाँ राजनीति, शिक्षा, बिजनेस तथा पायलटों तक की भूमिका में नारी अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज करा रही हो वहां आखिर क्या कारण है की महिलाएं असुरक्षित है? राष्ट्रीय महिला आयोग का रवैया भी असंवेदनशील था, तथा यह दलील कि जिन लड़कियों के कपड़े ऐसे होते है कि उनके साथ ऐसे हादसे हो जाते है इसलिए कपड़ो के चुनाव में सावधानी बरते, बिलकुल बेवकूफी भरी है जो दरिन्दे इस तरह कि घटनाओं में लिप्त होते है उनके लिए साड़ी पहनी हुई उम्रदराज महिला भी मात्र शरीर है इसलिए पुरुष अपनी मानसिकता को बदले तथा नारी शक्ति को पहचाने और उसका सम्मान करना सीखे। शुभकामनाओं सहित..