मॉस्को । रूसी नौसेना ने अपनी सुरक्षा के लिए मछलियों का इस्तेमाल किया है। काला सागर में रूस के नौसैनिक अड्डे की सुरक्षा कुछ मछलियां कर रही हैं। इन मछलियों को रूस ने खास ट्रेनिंग दी है, जो खतरा महसूस होने पर हमला भी कर सकती हैं। दावा किया है कि यूक्रेन युद्ध के दौरान काला सागर में अपने नौसैनिक अड्डे की सुरक्षा के लिए रूस ने प्रशिक्षित डॉल्फिन्स को तैनात किया है। रूसी नौसेना ने सेवस्तोपोल बंदरगाह के प्रवेश गेट पर दो डॉल्फिन पेन रखे हैं।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन डॉल्फिन को इसतरह से ट्रेंड किया गया है कि वे समुद्र की सतह पर गिरी किसी चीज को ढूढ़ निकाल लाती हैं। साथ ही खुफिया मिशन को अंजाम दे सकती हैं। सैटेलाइट तस्वीरें से पता चलता है कि ये पेन यूक्रेन पर हमले के समय फरवरी में यहां लाए गए थे। काला सागर में रूसी नौसेना का सबसे प्रमुख नौसैनिक अड्डा है। संभवतः इन डॉल्फिन्स को पानी के नीचे जवाबी कार्रवाई के लिए यहां रखा गया है। अमेरिका और रूस इस तरह के ऑपरेशन के लिए समुद्री जीवों को ट्रेनिंग देते हैं। यह यूक्रेनी स्पेशल ऑपरेशन फोर्सेस को रूसी युद्धपोतों को नुकसान पहुंचाने के लिए बंदरगाह में घुसपैठ करने से रोक सकता है।
शीत युद्ध के दौरान सोवियत नौसेना ने समुद्री जीवों से जुड़े कई प्रोग्राम विकसित किए थे, जिसमें काला सागर में डॉल्फिन की ट्रेनिंग भी शामिल थी। वह यूनिट सेवस्तोपोल पास कज़ाच्या बुख्ता में मौजूद थी जहां यह आज भी है। साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूनिट यूक्रेनी सेना का हिस्सा बन गई। हालांकि, इसे चालू रखने के कई प्रयासों के बाद भी इसमें कई मुश्किलें आईं और आखिरकार यह बंद हो गई।
रूस के प्रॉजेक्‍ट ने उस समय दुनिया का ध्‍यान अपनी ओर खींचा जब बेलुगा नाम व्‍हेल मछली अप्रैल 2019 में नार्वे पहुंची। इस व्‍हेल मछली को हवल्‍दीमीर नाम दिया गया था। यह व्‍हेल मछली रूस की नौसेना के ट्रेनिंग प्रोग्राम से बचकर निकली थी। अब रूस ने युद्धग्रस्‍त सीरिया के पास अपनी डॉल्फिन सेना को तैनात किया है।रूस को डर सता रहा है कि दुश्‍मन के समुद्र के रास्‍ते पनडुब्बियों पर हमला कर सकता है।