प्राग । यूरोपीय महाद्वीप में स्थित देश चेक गणराज्य में सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज हो गए हैं। सत्तारूढ़ दल के खिलाफ शनिवार को निकाली गई रैली में दूर-दराज इलाकों से 70 हजार से अधिक प्रदर्शनकारी शामिल हुए। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कुछ राजनीतिक दलों ने किया, जिसमें प्रत्यक्ष लोकतंत्र पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी शामिल हैं। इन प्रदर्शनकारियों ने रूढ़िवादी प्रधानमंत्री पेट्र फिआला के नेतृत्व वाली मौजूदा गठबंधन सरकार के इस्तीफे की मांग की।
दरअसल ये लोग सरकार की पश्चिमी देशों समर्थित नीतियों समेत कई मुद्दों से नाराज हैं। प्राइम मिनिस्टर फियाला ने कहा कि सभी को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन विरोध करने वाले रूस का समर्थन कर रहे हैं जो कि चेक गणराज्य और हमारे नागरिकों के हित में नहीं हैं।
दरअसल इन प्रदर्शनकारियों ने यूक्रेन में युद्ध को लेकर रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का समर्थन के लिए सरकार की निंदा की और आरोप लगाया कि वह ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से निपटने में सक्षम नहीं है। वहीं प्रदर्शनकारियों ने नाटो और यूरोपीय संघ व 27 देशों के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती और जलवायु तटस्थता तक पहुंचने की योजना की भी आलोचना की। चेक गणराज्य रूस के आक्रमण के खिलाफ इस लड़ाई में यूक्रेन का दृढ़ता से समर्थन करता रहा है और उसने यूक्रेन के सशस्त्र बलों को भारी हथियारों समेत कई सैन्य उपकरण भी दिए हैं। सरकार अब ऊर्जा संकट के मुद्दे पर अगले सप्ताह यूरोपीय संघ के देशों की एक आपातकालीन बैठक बुलाने की योजना बना रही है।
चेक रिपब्लिक में सरकार विरोधी यह प्रदर्शन उस समय हुआ है जब मुद्रास्फीति और ईंधन की कीमतों को लेकर विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। हालांकि सरकार इससे बच गई। विपक्षी नेता अंद्रेज बाबिस ने कहा कि, प्रधानमंत्री फियाला और उनके मंत्री हमारे देश को चलाने में सक्षम नहीं हैं, साथ ही ऊर्जा संकट के मुद्दे पर वे पूरी तरह से नाकाम हो चुके हैं। पूर्व प्रधान मंत्री, बाबिस पिछले साल एक चुनाव में हार गए थे। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि घोटाले में कथित भ्रष्टाचार के लिए लोगों की बेवजह जांच की जा रही है।