भोपाल। राजधानी भोपाल की सायबर क्राइम टीम ने टेलीग्राम ग्रुप पर माध्यमिक शिक्षा मण्डल का लोगो (मोनो) का उपयोग कर कक्षा 10-12 का प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने के नाम पर पैसे लेकर धोखाधडी करने वाले आरोपी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। आरोपी बी कॉम थर्ड ईयर का छात्र है, जो फर्जी टेलीग्राम ग्रुप बनाने के लिये माध्यमिक शिक्षा मण्डल के लोगो (मोनो) का उपयोग करता था। इसके बाद इन फर्जी टेलीग्राम ग्रुप पर कक्षा 10वीं, 12वीं के पेपर उपलब्ध कराने के नाम पर लोगो से पैसै ऑनलाइन अपने एकाउंट मे ट्रासंफर कराता था। शुरुआती जॉच मे सामने आया है कि अरोपी अभी तक करीब 600 लोगो से पैसै ले चुका है। आरोपी लोगो से पैसे लेने के भारतपे के क्यूआर कोड का उपयोग लिये करता था। जानकारी के अनुसार माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश के परीक्षा नियंत्रक बलवंत वर्मा ने बीती 4 मार्च को सायबर क्राइम ब्रांच को लिखित शिकायती आवेदन देते हुए बताया था, कि माशिम द्वारा आयोजित परीक्षायें 1 मार्च 2023 से प्रारंभ हो चुकी हैं। इस बीच असामाजिक तत्वों द्वारा माध्यमिक षिक्षा मण्डल का लोगो का उपयोग कर टेलीग्राम एप पर फर्जी लिंक तैयार करते हुए उस लिंक के माध्यम से मण्डल की परीक्षाओं के प्रशन पत्र उपलब्ध कराये जाने का दावा करते हुये छात्रों से भीम एम के माध्यम से पैसो की अवैध वसूली किये जाने की जानकारी सामने आ रही है। क्राइम ब्रांच ने शिकायती आवेदन की शुरुआती जॉच के आधार पर टेलीग्राम ग्रुप एवं भारतपे वॉलेट के उपयोगकर्तां के खिलाफ धारा 420 सहित 419, 66सी आईटी एक्ट, 66डी आईटी एक्ट के तहत मामला कायम कर आगे की पड़ताल शुरु की। सायबर क्राइम जिला भोपाल की टीम ने तकनीकि एनालिसिस के हाथ लगे सुरागो की मदद से माशिम के लोगो का उपयोग कर पैसे लेकर बोर्ड परीक्षाओ के पेपर उपलब्ध कराने वाले आरोपीं कौशिक दुबे पिता श्याम कुमार दुबे निवासी मंडीदीप भोपाल को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी कौशिक बी.कॉम थर्ड ईयर का छात्र है। टीम ने उसके पास से 1 बैंक पासबुक, मोबाइल फोन सहित 2 सिम कोर्ड जप्त किये है। पूछताछ में सामने आया कि आरोपी टेलीग्राम पर माध्यमिक शिक्षा मण्डल के लोगो (मोनो) का उपयोग कर फर्जी ग्रुप बनाकर लोगो से 10वीं एवं 12वीं के पेपर उपलब्ध कराने के नाम पर पैसे की मांग करता और पैसे एकांउट में ट्रांसफर होने के बाद आरोपी प्रश्न पत्र लोगो को दे देता था। आरोपी के द्वारा प्रश्न पत्र अन्य टेलीग्राम ग्रुप एमपी बोर्ड हेल्प से प्राप्त किया जाता था।