Simantonnayana Sanskar: हिंदू धर्म में 16 संस्कार निभाए जाते हैं। इनमें से कुछ संस्कार तो मां के गर्भ में ही पूरे कर लिए जाते हैं। ऐसा ही एक संस्कार है सीमन्तोन्नयन, जिसे वर्तमान में गोदभराई और बेबी शावर के नाम से जाना जाता है।


कुछ समय पहले तो जो परंपरा गोदभराई (Godbharai Tradition) के नाम से जानी जाती है, उसे अब बेवी शावर (Baby Shower) कहा जाने लगा है। इस परंपरा का नाम भले ही बदल गया है, लेकिन ये आज भी हिंदुओं के 16 संस्कारों में से एक है। धर्म ग्रंथों में इस संस्कार का नाम सीमन्तोन्नयन (Simantonnayana Sanskar) बताया गया है। मां के गर्भ में रहते हुए ही शिशु से संबंधित ये संस्कार पूरा कर लिया जाता है। ये संस्कार क्यों करते हैं, इसके क्या फायदे होते हैं? 
हिंदू धर्म के अनुसार, सीमन्तोन्नयन संस्कार गर्भकाल के 7वे या 8वें महीने में किया जाता है। तक तक शिशु के शरीर का पूरा विकास हो चुका होता है और वह हिलने-डुलने लगता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस समय तक गर्भस्थ शिशु में सोचने की क्षमता भी विकसित हो चुकी होती है और वह अपने आस-पास हो रही घटनाओं को महूसस कर सकता है और बातों को सुन सकता है।

 
धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस संस्कार के करने से गर्भस्थ शिशु को बल मिलता है। इस दौरान अनेक मंत्रों द्वारा गर्भ में पल रहे बच्चे को संस्कारित किया जाता है। ऐसा करने से उस बालक को ग्रहों की अनुकूलता मिलती है और यदि कोई अशुभ योग बन रहा होता है तो उसका प्रभाव भी खत्म हो जाता है। पुरातन समय में यह संस्कार गर्भस्थ शिशु के लिए बहुत ही आवश्यक माना जाता था।

 
गर्भकाल के 8वें महीने से परंपरा अनुसार, माता को धर्म ग्रंथ पढ़ने या मंत्र जाप करने के लिए कहा जाता है। या फिर कोई और गर्भवती महिला को पास बैठाकर ग्रंथों का पाठ कर उसे सुनाता है। मान्यता है कि इस समय माता जो कुछ सुनती है, वो आवाज गर्भस्थ शिशु तक भी पहुंचती है। गर्भ में पल रहा संस्कारवान हो, इसके लिए सीमन्तोन्नयन संस्कार के बाद गर्भवती महिलाओं को धार्मिक आचरण करने पर बल दिया जाता है।

 
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब भक्त प्रह्लाद अपनी माता के गर्भ में थे, उसी दौरान वे भगवान विष्णु का निरंतर ध्यान करती रहती थी, इसी के फल स्वरूप प्रह्लाद जन्म से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था। ऐसी ही एक घटना महाभारत काल में हुई, जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा को चक्रव्यूह में घुसने का तरीका बता रहे हैं तो उस दौरान उनके गर्भ में पल रहे अभिमन्यु ने भी ये विधा सीख ली थी।

 
जब सीमन्तोन्नयन संस्कार किया जाता है, जिसे गोदभराई भी कहते हैं के दौरान गर्भवती महिला को कुछ खास चीजें दी जाती हैं जैसे काजू, बादाम, खोपरा आदि। इसके पीछे ये अर्थ रहता है कि माता जब ये चीजें खाएगी तो इसका शुभ प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर भी होगा और उसे पर्याप्त पोषण मिलेगा।