लखनऊ । लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर सभी राजनीतिक दल अभी से अपनी रणनीतियां बनाने में जुट गए हैं। उत्तर प्रदेश में आरक्षण की राजनीति एक बार फिर जोर पकड़ रही है। यूपी में बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही उनके समुदाय को ओबीसी से हटाकर अनुसूचित जाति में स्थानांतरित किया जाएगा। वही दूसरी तरफ ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने अब सामाजिक न्याय समिति को लागू करने की अपनी मांग को हरी झंडी दिखा दी है। जाति जनगणना के मुद्दे को उठाने के लिए सुभासपा ने 26 सितंबर से 'सावधान यात्रा' शुरू करने का फैसला किया है। हालांकि समाजवादी पार्टी से गठबंधन खत्म होने के बाद से सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी करने से बचते नजर आए हैं।
ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दलितों और पिछड़े लोगों के अधिकारों के लिए जोर दे रहे हैं।  मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल के दौरान सामाजिक न्याय समिति का गठन किया गया था। उस समय रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बावजूद इसे लागू नहीं किया गया था। अब इसे लागू करने का समय आ गया है। राजभर ने कहा कि वो सावधान यात्रा के दौरान उन पार्टियों को निशाना बनाएंगे, जिन्होंने सत्ता में रहते हुए हुए दलितों और पिछड़ों को प्रतिनिधित्व देने के बारे में कुछ नहीं किया। हालांकि ये ऐसी मांग है जिससे भाजपा के अन्य सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) सहज नहीं हैं।
हालांकि योगी सरकार पिछले दस सालों में सरकारी भर्तियों में ओबीसी प्रतिनिधित्व का आंकलन करा रही है। यूपी सरकार के सभी विभागों को जनवरी 2010 से मार्च 2020 तक की गई ओबीसी भर्तियों में सभी उम्मीदवारों की उप-जाति का विवरण देने के लिए कहा गया है। जानकारी के मुताबिक इस बाबत 23 अगस्त से 83 विभागों के अधिकारियों की दो दिवसीय बैठक बुलाई गई है। सुभासपा ने यूपी सरकार के फैसले का स्वागत किया है। राजभर ने कहा- सरकारी भर्तियों में ओबीसी उप-जातियों का आकलन महत्वपूर्ण है। एक बार ये काम पूरा हो जाने के बाद हम उम्मीद करेंगे कि सरकार सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को जल्दी से लागू करेगी ताकि उपेक्षित और हाशिए के लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जा सके।
गौरतलब है कि दिसंबर 2021 में राज्य सरकार को सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट मिली थी जिसने ओबीसी को तीन श्रेणियों में विभाजित करने की सिफारिश की थी – पिछड़ा, अति पिछड़ा और सबसे पिछड़ा। जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट में 12 ओबीसी उप-जातियों को पिछड़ा वर्ग में रखा गया है, 59 को बहुत पिछड़ी श्रेणी में और 79 को सबसे पिछड़ी श्रेणी में रखा गया है। दलितों को तीन श्रेणियों में विभाजित करने की एक समान सिफारिश है - दलित श्रेणी में 4 दलित उपजातियां, अति दलित के तहत 31 और 46 जातियों को  महा दलित की श्रेणी में रखा है। समिति ने ओबीसी और दलित दोनों में सबसे पिछड़े और सबसे दलितों के लिए अधिकतम आरक्षण की सिफारिश की है। बीजेपी के लंबे समय से सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) को हालांकि इस मुद्दे पर आपत्ति है और उन्हें लगता है कि एक नई जनगणना की आवश्यकता है।