बिजली उत्पादन में कोयले पर निर्भरता कम करने की कवायद


भोपाल । 8 साल बाद मप्र के सभी सरकारी कार्यालय पूरी तरह सौर ऊर्जा से रोशन होगे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने अभी से तैयारियां तेज कर दी है। सरकार की कोशिश है कि 2030 तक सरकारी कार्यालयों को पूरी तरह सौर ऊर्जा युक्त बना दिया जाए। गौरतलब है कि इस बार कोयले की कर्मी के कारण बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है। इस कारण बिजली की घंटों कटौती की गई।
 मप्र सहित पूरा देश इस समय ताप बिजली से रोशन हो रहा है। प्रदेश में अधिकांश बिजली कोयला ताप गृहों से मिलती है। इस बार कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है। इससे की गई बिजली कटौती से सरकारी कामकाज प्रभावित हुआ है। देश-प्रदेश में कोयले की कमी को देखते हुए मध्यप्रदेश ने सूरज की रोशनी से बिजली संकट दूर करने का फैसला किया है। इसके तहत बड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने अगले 8 वर्षों यानी वर्ष 2030 तक में प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों को सौ फीसदी सौर ऊर्जा पर शिफ्ट करना तय किया है।

ग्रीन एनर्जी का पूरा रोडमैप तैयार
आधिकारिक जानकारी के अनुसार प्रदेश में 2030 तक के लिए ग्रीन एनर्जी का पूरा रोडमैप तैयार कर लिया गया है। वर्ष 2027 तक 60 हजार करोड़ रुपए का निवेश सौर ऊर्जा में होगा, जिससे 50 हजार लोगों को नई नौकरी मिलेगी। सरकार ने इसके लिए नवकरणीय ऊर्जा नीति 2022 तैयार करके पूरा रोडमैप तय किया है। इसके तहत ही लक्ष्य निर्धारित कर दिए गए हैं। वर्ष 2024 तक सरकारी दफ्तर में 20 फीसदी बिजली सौर ऊर्जा से मिलेगी। इसके लिए 19 हजार करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।  2027 तक 50 फीसदी सरकारी कार्यालय सौर ऊर्जा से लैस हो जाएंगे और इसमें 60 हजार करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे। वहीं 2030 तक सरकारी कार्यालय 100 फीसदी सौर ऊर्जा से रोशन होंगे।

बड़े लक्ष्य रखकर आगे बढ़ रहा मप्र
भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कॉप-21 सम्मेलन में कार्बन वृद्धि कम करने का लक्ष्य तय किया है। भारत ने 2070/ तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन की घोषणा की है। इसके तहत भारत में राज्य के स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें की मध्यप्रदेश ने इस क्षेत्र में देश में अग्रणी रहने के लिए हब बनने की दिशा में काम शुरू किया है। इस कारण मध्यप्रदेश बड़े लक्ष्य रखकर उस पर बढ़ रहा है। इससे मध्यप्रदेश को भी नेट जीरो कार्बन फुटप्रिंट प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। इसलिए मध्यप्रदेश ने 2030 तक प्रदेश कुल बिजली खपत का 50 प्रतिशत नवकरणीय ऊर्जा से करने का लक्ष्य रखा है। मप्र ने वैकल्पिक ऊर्जा के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दूरगामी रणनीति भी तैयार की है। इसके तहत पहले धीरे धीरे सौर ऊर्जा को बढ़ाया जाएगा। इसके लिए निजी निवेशकों के जरिए निजी सेक्टर में सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाएंगे। दिलचस्प ये है कि मध्यप्रदेश ने 2024 तक 4 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा को निर्यात करने की क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश में 2030 तक सौ फीसदी सरकारी दफ्तरों को सौर ऊर्जा पर शिफ्ट करने का लक्ष्य है। ये अहम है, क्योंकि अब भी सरकारी दफ्तरों में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल तेजी से बढ़ता जा रहा है। हालांकि राजभवन, मंत्रालय सहित अन्य जगहों पर यह अपेक्षाकृत सफल नहीं हो पाया है। नई रूफटॉप पॉलिसी के तहत इस पर काफी काम हुआ है।