जबलपुर ।  मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक ऐसा आदेश सुनाया, जो नजीर बनकर सामने आया है। भविष्य में इसे रेखांकित कर आदेश पारित किए जाएंगे। इस तरह के आदेशों को दूसरे वकील व पक्षकार अपने हित में उपयोग करते हैं। न्याय-प्रक्रिया का यही तरीका है। हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि सिर्फ ड्रायवर का लर्नर लायसेंस होने के आधार पर मोटर दुर्घटना बीमा दावा का भुगतान करने से इन्कार नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने कहा कि कि ट्रेक्टर से संलग्न थ्रेसर का अलग से बीमा होना आवश्यक नहीं। लिहाजा, एचडीएफसी एग्रो सेंट्रल इंश्योरेंस कंपनी की अपील निरस्त कर दी।हाई कोर्ट ने कहा कि मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के निर्णय के अनुसार अपीलकर्ता कंपनी को बीमा दावा का भुगतान करना ही होगा। एचडीएफसी एग्रो सेंट्रल इंश्योरेंस कंपनी की ओर से यह अपील दायर की गई। कंपनी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मंडला जिले की निवास तहसील में ट्रेक्टर दुर्घटना के दौरान वीरन सिंह व भंगीलाल की मृत्यु हो गई थी। वीरन सिंह की पत्नी बिसरती बाई, उसके तीन बच्चों व भंगीलाल की पत्नी पाने बाई की ओर से मंडला मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में केस दायर किया। सुनवाई के बाद अधिकरण ने ट्रेक्टर का बीमा करने वाली अपीलकर्ता कम्पनी को आदेश दिए कि वह क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करे। इसी आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि ट्रेक्टर के ड्राइवर के पास लर्नर लायसेंस था, स्थायी नहीं। साथ ही ट्रेक्टर में ट्राली की जगह थ्रेसर लगा था, जिसका बीमा नही था। अनावेदकों की ओर से हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत रेखांकित किए गए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण मंडला के आदेश को उचित करार दिया। साथ ही बीमा कंपनी की अपील सारहीन पाकर निरस्त कर दी।इसी के साथ बीमा कंपनी को झटका लगा। जबकि पक्षकार को राहत मिल गई।