"कैसे Swapnil Kusale ने रेलवे नौकरी से शूटिंग में ओलंपिक मेडल तक का सफर तय किया"
भारत के स्वप्निल कुसाले ने पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस के फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया है, जबकि ऐश्वर्या प्रता सिंह तोमर चूक गए। फाइनल में पहुंचने के साथ ही कुसाले ने इतिहास रच दिया और वह इस स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाले भारत के पहले निशानेबाज बन गए। कुसाले क्वालीफाइंग दौर में 590 का स्कोर करके सातवें स्थान पर रहे, जबकि तोमर 589 का स्कोर करके 11वें स्थान पर रहे। चीन के लियू युकून 594 स्कोर करके शीर्ष पर रहे जो ओलंपिक क्वालीफिकेशन का रिकॉर्ड है।
धोनी से मिली प्ररेणा
कुसाले जब गुरुवार को फाइनल में उतरेंगे तो उनकी नजरें भारत की झोली में तीसरा पदक डालने पर होंगी। स्वप्निल कुसाले महान क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी से प्रेरणा लेते हैं जो करियर की शुरुआत में उन्हीं की तरह रेलवे में टिकट कलेक्टर थे। महाराष्ट्र के कोल्हापुर के कंबलवाड़ी गांव के रहने वाले 29 वर्ष के कुसाले 2012 से अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल रहे हैं लेकिन ओलंपिक पदार्पण के लिए उन्हें 12 साल इंतजार करना पड़ा। धोनी की ही तरह 'कूल' रहने वाले कुसाले ने विश्व कप विजेता क्रिकेट कप्तान पर बनी फिल्म कई बार देखी।
फाइनल में पहुंचने के बाद कुसाले ने कहा, "मैं निशानेबाजी में किसी खास खिलाड़ी से मार्गदर्शन नहीं लेता, लेकिन अन्य खेलों में धौनी मेरे पसंदीदा हैं। मेरे खेल में भी शांतचित रहने की जरूरत है और वह भी मैदान पर हमेशा शांत रहते थे। वह भी कभी टीसी थे और मैं भी हूं।"
स्कूल में टीचर हैं पिता
कुसाले 2015 से मध्य रेलवे में काम करते हैं। उनके पिता और भाई जिला स्कूल में शिक्षक हैं और मां गांव की सरपंच हैं। अपने प्रदर्शन पर स्वप्निल ने कहा, "मेरा अभी तक अनुभव बहुत अच्छा रहा है। मुझे निशानेबाजी पसंद है और मुझे खुशी है कि इतने लंबे समय से कर पा रहा हूं। मनु भाकर को देखकर आत्मविश्वास आया है। वह जीत सकती है तो हम भी जीत सकते हैं। कुसाले ने कोल्हापुर में पूर्व निशानेबाज तेजस्विनी सावंत से प्रशिक्षण लिया है।"


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