भोपाल :  अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा है कि विकास का संवाद कहें या विकास की पत्रकारिता, दोनों का आशय है कि विकास की पत्रकारिता करते समय पाठकों की सोच और उनके दृष्टिकोण को ध्यान में रखना होगा। प्रो. चतुर्वेदी आज कुशाभाऊ ठाकरे हॉल में विकास में सहभागिता विषय पर आयोजित सम्मेलन के दूसरे दिन "डेव्हलप कम्युनिकेशन एडं राईटिंग" सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चाहे लेखन हो या भाषण, उसे जिसके लिए लिखा गया है, उसे समझ में आना चाहिए। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि विकास की पत्रकारिता के लिए चार बातों का होना आवश्यक है डाक्यूमेंटेशन, कम्यूनिटी सहभागिता, स्वास्थ्य और महिलाओं का अर्थ-व्यवस्था से जुड़ाव। विकास पर केंद्रित कोर्स के लिए माखनलाल चतुर्वेदी एवं सुशासन संस्थान मिलकर एक ऐसा इको सिस्टम खड़ा कर सकते हैं जहाँ विकास के संवाद को सार्थकता मिल सके।

कम्युनिटी रेडियो स्टेशन की स्थापना जरूरी

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने अपने संबोधन में कहा कि विकास के लिए कम्युनिटी रेडियो स्टेशन की स्थापना पर पुन: ध्यान देना होगा। अभी 250 सामुदायिक रेडियो स्टेशन ही काम कर रहे हैं। हमें हमारे पारंपरिक मीडिया पर फोकस करना होगा। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट जैसे डिजिटल प्लेटफार्म हम कितना और किस प्रकार उपयोग करते हैं, हमें देखना होगा। हमें विकास के बारे में लिखते समय यह देखना होगा कि युवा उसकी ओर किस तरह से आकर्षित होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी चैनल या अखबार के लिए या उस कार्यक्रम विशेष के लिए उसके व्यवसायिक पक्ष को भी ध्यान में रखना होगा, जिससे उसका प्रसारण निर्बाध चल सके। उन्होंने कहा कि विकास की पत्रकारिता में सबसे आगे प्रसार भारती है। दूरदर्शन और आकाशवाणी ने इसे प्राथमिकता दी है। कार्यकम का संचालन करते हुए संस्थान की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुश्री जी.व्ही.रश्मि ने हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के साथ क्षेत्रीय भाषा की उपयोगिता पर भी ध्यान देने के लिए कहा।

वो कौन सा विषय है, जिसमें विकास न हो

विकास संवाद पर विषय विशेषज्ञ के रूप में श्री सचिन जैन ने कहा कि वो कौन सा विषय है जिसमें विकास न हो। मेरी निगाह में हर विषय विकास पर केंद्रित होता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण पत्रकारिता के लिए  जिला एवं ब्लाक स्तर पर मीडिया स्ट्रिंगर के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुपोषण या अन्य इस प्रकार के विषयों को सुबह-सुबह अखबार में पढ़ना कौन पसंद करेगा। इसके लिए जरूरी है कि समाचार का प्रस्तुतीकरण कैसा हो। खबर लिखते समय दर्शको या पाठकों के नजरिये को ध्यान में रखना होगा।

ज्ञान और चेतना में करें बदलाव

सम्मेलन को संबोधित करते हुए रोजगार और निर्माण के मैनेजिंग एडिटर  श्री पुष्पेन्द्रपाल सिंह ने कहा कि डेवलपमेंट कम्यूनिकेशन राईटिंग का महत्व इसलिए भी अधिक हो जाता है कि उससे लोगों में क्या बदलाव लाते हैं, उनकी सोच में, उनके व्यवहार में क्या बदलाव ला पाते हैं। बदलाव किसी भी प्रकार का हो सकता है, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक। सही मायने में बदलाव ज्ञान और चेतना में हम किस प्रकार बदलाव लाते हैं, महत्वपूर्ण है। हम अपने अनुभवों को किस प्रकार लोगों से साझा करें, जिससे उनका लाभ वे अपने जीवन में उठा सकें।

सम्मेलन में राष्ट्रीय समाचार-पत्र बिजनेस स्टैण्डर्ड के वरिष्ठ पत्रकार श्री शशिकांत त्रिवेदी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि लेखन पूर्व से नियोजित नहीं होना चाहिए। कई बार होता है कि जो सोचकर जाते हैं वो होता नहीं है उससे भिन्न ही होता है।