मुंबई । महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट के बाद भी कई सियासी प्रक्रियाएं बाकी हैं। हालांकि, कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना गुट के बीच जारी राजनीतिक संघर्ष यहीं समाप्त हो सकता है। खबर है कि भाजपा और शिंदे गुट पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ बचे 15 विधायकों की अयोग्यता के लिए दबाव नहीं बनाएगा। दोनों गुटों के बीच तनाव शांत होने के भी कई संकेत मिले हैं।  सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पार्टी शांति चाहती है। नाराजगी शांत होने का एक संकेत सोमवार को सदन की कार्यवाही में भी देखने को मिला, जब उद्धव गुट के नेताओं ने कोई हंगामा नहीं किया। खास बात है कि शिंदे गुट की तरफ से जारी व्हिप नहीं मानने के चलते विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है। भाजपा नेता ने कहा, 'भाजपा-शिंदे गुट की तरफ से शुरुआत में की गई कड़ी बातचीत शिंदे गुट के खिलाफ उद्धव की अगुवाई वाली शिवसेना की चुनौती का सामना सुप्रीम कोर्ट में करने के लिए एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा थी।... अब हमने स्पीकर का चुनाव और विश्वास मत दोनों जीत लिए हैं, तो हम शांति चाहते हैं।' एक नेता ने कहा, 'उनके साथ मौजूद आदित्य ठाकरे समेत 15 विधायकों के खिलाफ की गई कोई भी कार्रवाई लौटकर वापस आ सकती है। इससे ऐसा लगेगा कि भाजपा शिवसेना को खत्म करने की कोशिश कर रही है।' सोमवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान शिंदे गुट के चीफ व्हिप भरत गोगावले ने कहा कि 15 विधायकों की अयोग्यता की मांग में आदित्य को छोड़ा गया है। उन्होंने कहा, 'हमारा व्हिप नहीं मानने के चलते हमने उन्हें नोटिस दिए, लेकिन बाल ठाकरे लिए सम्मान के कारण हमने आदित्य के नाम का जिक्र नहीं किया। हमने उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया और न ही उनका नाम शामिल किया है।' विश्वास मत जीतने के लिए बाद शिंदे की तरफ से दिए गए भाषण में भी सुलह के सुर सुने गए। उन्होंने कहा कि वह प्रतिशोध की राजनीति में भरोसा नहीं करते हैं। उन्होंने बगावत के आरोप उद्धव पर लगाए और कहा कि वह बाल ठाकरे के हिंदुत्व के एजेंडा से भटक गए हैं। साथ ही उन्होंने विपक्ष को भी भरोसा दिया कि उनकी सरकार बदला नहीं लेगी।