भोपाल । प्रदेश में गर्मी की दस्तक के साथ ही बिजली की मांग बढ गई है। इसी वजह से शुक्रवार को मध्यप्रदेश को ओव्हर  ड्रा करना पडा। प्रदेश के बिजली संयंत्रों में मांग के अनुरुप उत्पादन नहीं हो रहा है। इसी कारण से शुक्रवार को मध्य प्रदेश ने सेंट्रल सेक्टर के निर्धारित शेड्यूल से 440 मेगावाट बिजली का ओवर ड्रा किया। मध्य प्रदेश में गुरुवार सुबह बिजली की सर्वाधिक मांग 12 हजार 240 मेगावाट रही। वहीं, इसी दिन शाम को मध्य प्रदेश में 11 हजार 724 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की गई । जानकारी के अनुसार दरअसल, मध्य प्रदेश बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है, लेकिन प्रदेश ने बिजली की आपूर्ति निर्बाध बनाए रखने के लिए निजी कंपनियों से 22 हजार मेगावाट बिजली खरीदी का पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) किया हुआ है। इस अनुबंध की शर्त यही है कि प्रदेश ने उन कंपनियों से बिजली नहीं खरीदी तो भी उन्हें एक रुपये 31 पैसे प्रति यूनिट का फिक्स चार्ज दिया जाएगा। यही वजह है कि प्रदेश सरकार अपने बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता पर नहीं चलाती है। पांच साल में बिना बिजली खरीदे दे दिए 12 हजार 731 करोड़ सरकार ने बीते पांच साल में 12,731.93 करोड़ रुपये का भुगतान बिना बिजली लिए किया है। इसमें निजी कंपनियों को करीब 2,767.77 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है। इसी आधार पर मध्‍य प्रदेश सरकार बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का दावा करती है। सेंट्रल सेक्टर से मध्य प्रदेश 5,737 मेगावाट बिजली की मांग का शेड्यूल दिया था लेकिन मांग बढ़ने के कारण 6,167 मेगावाट बिजली ड्रा की गई। 440 मेगावाट बिजली आठ रुपये प्रति यूनिट की दर से ओवर ड्रा की गई। बता दें कि वर्तमान में मध्‍य प्रदेश में बिजली उत्पादन की स्थिति इस प्रकार है-संयंत्र क्षमता उत्पादन थर्मल 5,400 मेगावाट 3,166 मेगावाट हाईडल 3,382मेगावाट 1,293 मेगावाट कुल क्षमता-8,382 मेगावाट 4,459।