एक अंग्रेज अफसर अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ जहाज में सवार होकर सफर पर निकला। रास्ते में समुद्र में जोर का तूफान आया। मुसाफिर घबरा उठे। पर वह अंग्रेज अफसर जरा भी नहीं घबराया। उसकी पत्नी भी व्याकुल हो गई थी। उसने अपने पति से पूछा-इतना खतरनाक तूफान आया है। सबकी हालत खराब है। पर आप इतना निश्चिंत कैसे बैठे हैं?  
यह सुनते ही उस अफसर ने म्यान से तलवार निकाली और पत्नी के सिर पर रखकर पूछा- क्या तुम्हें डर लग रहा है? पत्नी बोली-मेरी बात का जवाब न देकर आप यह क्या खेल कर रहे हैं? अफसर ने फिर पूछा-बताओ, तुम्हें डर लग रहा है या नहीं? पत्नी ने कहा- मुझे भला क्यों डर लगेगा? मुझे पता है आप मेरी जान नहीं लेंगे क्योंकि आप मेरे दुश्मन नहीं हैं। आप तो मुझे अपनी जान से ज्यादा चाहते हैं। फिर मैं क्यों डरूं?  
इस पर अफसर ने कहा-बिल्कुल सही। जिस तरह तुम्हें मुझ पर भरोसा है उसी तरह मुझे ईश्वर पर भरोसा है। वह हम सब का अभिभावक है। वह हमारा बुरा क्यों चाहेगा? वह तो हमारे पिता के समान है। वह हर संकट में हमारी सहायता ही करेगा। इसलिए तूफान आया है तो वह चला भी जाएगा। जीवन में विश्वास सबसे बड़ी चीज है। इससे हमें बड़ी ताकत मिलती है। हम इसी ताकत के सहारे जीते हैं। इसलिए हमें किसी न किसी के प्रति विश्वास तो रखना ही होगा। वही लोग घबराते हैं या अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते हैं जिनमें विश्वास की कमी होती है। संयोग से उसी समय तूफान थम गया।