हिंदू पंचांग का दसवां महीना माघ, 5 फरवरी तक रहेगा। ये महीना पूजा-पाठ के साथ ही पुण्य बढ़ाने और सेहत सुधारने का समय होता है। माघ मास में तीर्थ दर्शन के साथ ही नदियों में स्नान करने की परंपरा भी है। नारद, पद्म और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में कहा गया है कि इस पवित्र महीने में भगवान सूर्य के साथ विष्णु जी की पूजा भी करनी चाहिए। ऐसा करने से पुण्य बढ़ता है।

माघ महीने में घर पर गंगाजल व तिल से स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दें। रोज गीता पाठ करें। सुबह-शाम तुलसी जी के आगे घी का दीपक जलाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ शुभकारी रहता है। माघ महीने में आने वाले व्रत-पर्व (गुप्त नवरात्र, वसंत पंचमी, एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा) जीवन में सकारात्मकता बढ़ाते हैं।

नहाने के पानी में गंगाजल मिलाएं
माघ महीने के दौरान अगर तीर्थ या किसी भी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। ऐसा करने से भी नदी स्नान के समान पुण्य मिल सकता है। माघ मास में भगवान विष्णु, कृष्ण और सूर्य पूजा की परंपरा है। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

सूर्य को अर्घ्य दें
माघ महीने में भगवान सूर्य के सहस्त्रांशु रूप की पूजा करनी चाहिए। यानी हजार किरणों से रोशनी देने वाले भगवान सूर्य के रूप को प्रणाम कर के अर्घ्य देने का विधान पुराणों में बताया गया है। इसके लिए तांबे के लोटे में पानी भरकर उसमें गंगाजल की कुछ बूंदे, तिल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। स्कंद और पद्म पुराण के मुताबिक ऐसा करने से उम्र बढ़ती है और जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

भगवान विष्णु की पूजा
इस महीने में भगवान विष्णु के माधव रूप की पूजा करने का विधान बताया गया है। इसलिए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए या किसी विद्वान ब्राह्मण से पाठ करवा सकते हैं। किसी मंदिर या घर पर ही शंख में दूध और पानी भरकर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए। इतना न कर पाएं तो सिर्फ ऊँ माधवाय नमः मंत्र बोलकर ही भगवान को प्रणाम कर सकते हैं।