शास्त्रनुसार शनि ऐसे देवता हैं, जो अच्छे कामों व मेहनत के बल पर खुशहाल बनने की प्रेरणा देते हैं।

जगत न्यायाधीश होने के कारण वह अनुशासन, संयम, पवित्रता और संकल्प के साथ मकसद को पूरा करने का सबक भी देते हैं। कुंडली में शनि की शुभ या अशुभ स्थिति से शेष 8 ग्रहों के फल बदल जाते हैं। अक्सर लोग शनि को क्रूर ग्रह कहते हैं लेकिन यह बात सच नहीं है। शनि न्यायप्रिय हैं। वे गलत कार्य करने वालों को दंडित करते हैं और अच्छे कार्य करने वालों को पुरस्कृत। हां, उन्हें इतनी शक्ति प्राप्त है कि मानव तो क्या, देवता भी उनसे डरें। शनि को स्वर्ण मुकुट धारण किए दर्शाया जाता है। वे नीले वस्त्र धारण करते हैं। इनकी चार भुजाओं में क्रमश: धनुष, बाण, त्रिशूल व वरमुद्रा है। उनका वाहन कौआ है।
ज्योतिषशास्त्र के खगोल खंड के अनुसार शनि नवग्रहों में से एक हैं व इनके चारों तरफ एक रिंग नुमा आकृति है। शनि धीमे चलते हैं अतः इन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है। ज्योतिष में शनि के प्रभाव का साफ संकेत मिलता है। शनि ग्रह वायु तत्व व पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। शास्त्रनुसार शनिवार पर उनकी पूजा-आराधना व अनुष्ठान करने से शनि विशिष्ट फल प्रदान करते हैं।

क्या करें शनिवार
शरीर पर सरसों के तेल से मालिश करें।
तिल मिले पानी से स्नान करें।
काले कपड़े पहनें।
पीपल की पूजा कर सात परिक्रमा करें।
कोहड़ियों व विकलांगो की सेवा करें।
काली गाय, कौए, काले कुत्ते व चींटी को तेल में बने पकवान डालें।