Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष शुरू होते ही लाखों, करोड़ों लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं. श्राद्ध करते हैं, ताकि उनके घर में खुशहाली बनी रहे. क्या आप जानते हैं कुंडली में पितृदोष होने से हमारे जीवन में कई बड़ी समस्याएं आती हैं. आमतौर पर यह योग राहु से बनता है. राहु की विशेष स्थितियां ही इस योग का निर्माण करती हैं. लेकिन पितृपक्ष में कुछ विशेष उपाय करके हम पितृ दोष के प्रभाव से मुक्ति पा सकते हैं. आइए आज आपको बताते हैं कि कुंडली में पितृदोष कैसे बनता है और इसके प्रभाव से बचने के उपाय क्या हैं.

पितृ दोष के नुकसान
कुंडली में पितृदोष होने से उन्नति के मार्ग में बाधाएं आती हैं. अगर व्यक्ति के जीवन में मानसिक परेशानी रहती हैं. पारिवारिक संतुलन नहीं रहता. जीवन में बहुत ज्यादा पैसा कमाने के बाद भी घर में बरकत नहीं रहती है. स्वयं निर्णय लेने में बहुत परेशानी होती है. परीक्षाओं और साक्षात्कार में भी असफलता मिलती है. संतान प्राप्ति में बहुत ज्यादा बाधाएं आती हैं तो ये आपकी कुंडली में पितृदोष होने का एक इशारा है.

इस वजह से भी हो सकता है पितृदोष
पूर्वजन्म में अगर माता-पिता की अवहेलना की गई है या अपने दायित्वों को आपने ठीक से नहीं निभाया है तो कुंडली में पितृ दोष की समस्या हो सकती है. इसके अलावा, अगर आपने अपने अधिकारों और शक्तियों का दुरुपयोग किया है तो भी कुंडली में पितृ दोष की संभावना अधिक हो जाती है.

इन दुर्योगों के कारण होता है पितृदोष
कुंडली में अगर राहु दूषित हो या राहु का संबंध धर्म भाव से हो तो पितृदोष होता है. राहु का संयोग सूर्य अथवा चन्द्रमा के साथ हो या कुंडली में गुरु चांडाल योग हो या फिर कुंडली में केंद्र स्थान रिक्त हो तो भी कुंडली में पितृदोष बनता है.

क्या है पितृदोष से बचने के उपाय?
कुंडली में पितृदोष के प्रभाव से बचने के लिए अमावस्या के दिन किसी निर्धन को भोजन कराएं. इस भोज में खीर जरूर शामिल करें. पीपल का वृक्ष लगवाएं और उसकी देखभाल करें. श्रीमद् भागवत गीता का नित्य प्रातः पाठ करें. घर के पूजा स्थान पर रोज शाम को एक दीपक जलाएं. अगर मामला ज्यादा जटिल हो तो श्रीमद् भागवत गीता का पाठ कराएं.