शनि को नवग्रहों का सेनापति कहा जाता है. इसको न्याय का अधिपति भी कहा जाता है. इसे अनुशासन और कठोरता का ग्रह माना जाता है. शनि ग्रह कानून, नौकरी, तकनीक और संघर्ष से सम्बन्ध रखता है. इसके शुभ योग जीवन को प्रगति की ओर ले जाते हैं. हालांकि इसके शुभ योगों का प्रभाव थोड़ा देरी होता है. आइए आज आपको शरीर के योग और उनकी विशेषताओं के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.

शश योग
यह शनि का पंचमहापुरुष योग है. शनि अगर कुंडली में मकर, कुम्भ या तुला राशि में हो तो यह योग बन जाता है. इसके लिए शनि लग्न से केंद्र में होना चाहिए. व्यक्ति को अपार धन संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. व्यक्ति बहुत निम्न स्तर से उठकर ऊँचाइयों तक पहुंच जाता है. यह योग व्यक्ति को धनवान तो बनाता है, परन्तु संघर्ष के बाद अगर कुंडली में यह योग हो तो अपने से छोटों का हमेशा सम्मान करें.

सप्तमस्थ शनि
शनि सप्तम भाव में दिग्बली हो जाता है. यहां पर बैठा हुआ शनि सामान्यतः व्यक्ति को धनवान बनाता है. हालांकि यह शनि व्यक्ति के विवाह में विलम्ब भी करता है. इस शनि के होने पर व्यक्ति कर्मठ और अपने परिश्रम से बढ़ने वाला होता है. ऐसे शनि वाले लोगों का भाग्य विवाह के बाद उदित हो जाता है. इस शनि के होने पर नियमित रूप से शनि देव की पूजा करनी चाहिए.

शनि शुक्र योग
शनि स्थिरता का स्वामी होता है और शुक्र वैभव का दोनों का सम्बन्ध एक शुभ योग बना देता है. यह योग तभी प्रभावशाली होता है जब शुक्र और शनि एक साथ हो. शुक्र पर पड़ने वाली शनि की दृष्टि में यह योग नहीं बनता. अगर यह योग तुला लग्न या वृष लग्न में हो तो सर्वोत्तम होता है. व्यक्ति को राज्य सुख और अपार वैभव की प्राप्ति होती है. अगर कुंडली में यह योग हो तो नियमित रूप से सिक्कों का दान करें.

शनि के प्रभाव से बचने के उपाय
जिन लोगों का शनि कमजोर हो उन्हें शनिवार के दिन साबुत उड़द, लोहा, तेल, तिल के बीज, पुखराज रत्न, काले कपड़े जैसी चीजों का दान करना चाहिए. नीलम रत्न पहनने से शनि मजबूत होता है. यह रत्न शनि के नकारात्मक प्रभावों से बचाता है. शनि की शांति के लिए 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना बेहद लाभदायक होता है.