हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस समय मार्गशीर्ष माह चल रहा है। इस बार मासिक शिवरात्रि 22 नवंबर यानी कि मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। मासिक शिवरात्रि देवों के देव महादेव को समर्पित है। शिव शंकर को समर्पित ये तिथि शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है। मान्यता है कि प्रत्येक शिवरात्रि के दिन व्रत रखकर पूजा करने से शिव जी अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और सभी कष्टों को दूर करते हैं। प्रत्येक माह में पड़ने वाली ये तिथि भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इसलिए इस दिन शिव जी के साथ मां पार्वती की भी पूजा की जाती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत विधि पूर्वक से रखता है, उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए भी मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है।
मासिक शिवरात्रि तिथि
चतुर्दशी तिथि आरंभ : 22 नवंबर, मंगलवार, प्रातः 8:49 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समापन: 23 नवंबर, बुधवार, प्रातः 6:53 मिनट पर
उदयातिथि के अनुसार, इस बार की शिवरात्रि 22 नवंबर को ही मनाई जाएगी।

मासिक शिवरात्रि का महत्व
वैसे तो हर महीने आने वाली शिवरात्रि का बहुत महत्व है, लेकिन मार्गशीर्ष माह में आने वाली इस शिवरात्रि को काफी शुभ और फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने और आंतरिक शांति के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए सबसे शुभ दिन मानते हैं। भक्तों का मानना है कि इस दिन उपवास करने से आत्मा पवित्र होती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।

मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि वाले दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर लें।
इसके बाद शिव मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करें।
शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक्कर, शहद, दही से करें।
अब भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल भी अर्पित करें।
अब भगवान शिव की धूप, दीप, फल और फूल से पूजा करें।
अब शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें।
व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।
अगले दिन सुबह भोलेनाथ की पूजा और दान करने के बाद ही व्रत का पारण करें।
मासिक शिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
मार्गशीर्ष मास की शिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ के इन मंत्रों का जाप करना फलदायी माना जाता है-
'ॐ नम: शिवाय' या' शिवाय नम:'
शंकराय नमसेतुभ्यं नमस्ते करवीरक।
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्र्वरमत: परम्।।
नमस्तेअस्तु महादेवस्थाणवे च ततछ परमू।
नमः पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नमः।।
नमस्ते परमानन्द नणः सोमार्धधारिणे।
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गतः।।

'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ'

'ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बमकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्यो र्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ'।

इसके बाद शिव मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करें।