भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हमें आने वाली पीढ़ी के लिए धरती बचाना है। धरती को बचाने में प्रत्येक व्यक्ति पेड़ लगाकर सहयोग दे सकता है। हमें वृक्ष मित्र और पर्यावरण मित्र बनकर, आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षण के अपने दायित्व का निर्वहन करना ही होगा। हरदा में सुभाष मंच द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए संचालित गतिविधियों से मैं अभिभूत हूँ। हरदा के वृक्षारोपण अभियान में लगे कार्यकर्ताओं का भोपाल में सम्मान किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सुभाष मंच, हरदा द्वारा “आत्मनिर्भर कृषक - आत्म-निर्भर कृषि” के अंतर्गत आयोजित वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम को निवास कार्यालय से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। हरदा में आयोजित कार्यक्रम में कृषि मंत्री श्री कमल पटेल, वरिष्ठ समाज सेवी, पर्यावरण प्रेमी तथा सुभाष मंच, हरदा के संस्थापक श्री गौरी शंकर मुकाती उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण धरती का अस्तित्व संकट में है। पर्यावरण संरक्षण के लिए जितना काम होना चाहिए उतना नहीं हो रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिए समय सीमा में कार्य पूर्ण करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें हम सबको योगदान देना होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मैं, प्रतिदिन एक पौधा रोपता हूँ, और पेड़ लगाने से ही स्वयं को सम्पूर्ण अनुभव करता हूँ। जब तक पेड़ न लगा लूं तब तक कुछ अधूरा सा लगता है। वृक्षारोपण कर हम एक प्रकार से सांसें लगा रहे हैं। पेड़ ऑक्सीजन देने के साथ-साथ, नदियों को जल और कई जीव-जन्तुओं को आश्रय प्रदान करते हैं। धरती के तापमान में हो रही वृद्धि से भयानक स्थिति उत्पन्न होगी, इससे बचाव का वृक्षारोपण ही एक मात्र उपाय है।

कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने बताया कि सुभाष क्लब द्वारा हरदा सहित बैतूल, होशंगाबाद,खण्डवा और सीहोर में पांच करोड़ पौधे लगाने का संकल्प लिया गया है। इसके लिए मुम्बई की "ग्रो ट्रीज़" कम्पनी के साथ एग्रीमेंट भी हुआ है। विश्व पर्यावरण दिवस पर सुभाष मंच के 400 सहयोगी और डेढ़ लाख किसान अपनी निजी भूमि में मेंढों पर पौधे लगा रहे हैं। “आत्म-निर्भर कृषक-आत्म निर्भर कृषि”, संसाधनों के कुशल और वैज्ञानिक प्रबंधन की अवधारणा है। इसके अंतर्गत मेढ़ों और अनुपयोगी भूमि पर सागौन और फलदार वृक्षों का रोपण करके किसानों के लिए भविष्य- निधि निर्माण की परिकल्पना है। नदियों के तटों को भूमि-कटाव से बचाने और बाढ़ नियंत्रण के लिए भी वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे खेतों में प्रयोग किए गए कीटनाशकों को सीधे नदियों में जाने से रोकने में भी मदद मिलेगी।