साईंबाबा को भारतीय गुरु, संत एवं फ़क़ीर माना जाता है। कहा जाता है उन्होंने जीवन में कई चमत्कार किये हैं। जी हाँ और अगर आप हर साल शिरडी के साईंबाबा के दर्शन के लिए जाते हैं, तो आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ बातों को जरूर जानना चाहिए।

आज हम आपको उन्ही के बारे में बताने जा रहे हैं।

जी दरअसल शिरडी देश में देखे जाने वाले सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है और हर साल लाखों लोग शिर्डी के साई बाबा के दर्शन करने पहुंचते हैं। जी दरअसल साईंनाथ पर लोगों की आस्था इस कदर है, कि उनके दर्शन के लिए लोग 7-8 घंटे भी लाइन में खड़े रहकर इंतजार करते हैं। जी दरअसल मुंबई से लगभग 300 किमी दूर स्थित शिरडी का साईं बाबा का घर माना जाता है। आप सभी को यह भी बता दें कि साईंबाबा एक संत थे, जिन्होंने जीवनभर जरूरतमंदों की सेवा की।

आज हम आपको बताएंगे साईंबाबा के चरणों के पीछे का रहस्य- जी दरअसल जब कुछ लोगों ने साईं बाबा की शक्ति के बारे में सुना, तो वो उनकी एक तस्वीर खींचना चाहते थे। हालांकि, साईं बाबा ने कोई भी तस्वीर लेने से मना कर दिया। वहीं बाद में वह अपने पैरों की फोटो वाने के लिए तैयार हो गए। जी हाँ और भक्तों में से एक ने फायदा उठाया और उनकी पूरी लंबाई वाली तस्वीर क्लिक की। हालाँकि बाद में जब उन्होंने वह तस्वीर देखी, तो उसमें केवल साईं बाबा के पैर दिख रहे थे।

मीठे पत्तों वाला नीम का पेड़ - कहा जाता है जब साईं बाबा शिरडी आते थे, तो वह अपना ज्यादातर समय एक नीम के पेड़ के नीचे बिताते थे। जिसको अब गुरूस्थान के नाम से जाना जाता है। एक किवदंती के अनुसार, जब कुछ ग्रामीणों ने पेड़ के पास की जमीन खोदना शुरू की , तो साईं बाबा ने उन्हें रूकने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह पूर्वजों का विश्राम स्थल है। अगर आप कभी शिरडी की यात्रा करते हैं और आपको पेड़ से गिरे नीम के पत्ते चखने का मौका मिले , तो आप इसका स्वाद चखकर हैरान रह जाएंगे। सबसे हैरानी की और दिलचस्प बात यह है कि यहां नीम की पत्तियों का स्वाद कड़वा नहीं बल्कि मीठा होता है। जी हाँ और ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों को नीम की पत्ती चखने का मौका मिलता है , वे स्वस्थ रहते हैं और उन्हें कोई बीमारी नहीं होती।

मुक्त शहर है शिरडी - शिरडी में शराब पीने के नियम अलग हैं। जी दरअसल शहर में न तो शराब बिकती है और न ही सर्व की जाती है और यह शहर पूरी तरह से शराब मुक्त है।

साईंबाबा मंदिर का निर्माण - कहा जाता है शिरडी में साईं बाबा मंदिर का निर्माण 1922 में किया गया था। साईं बाबा के निधन के चार साल बाद यह मंदिर बनाया गया था। इस मंदिर का नीजि स्वामित्व श्रीमंत गोपालराव के पास था, जो नागपुर के एक करोड़पति थे।