जिंदगी...
By Sameera, 10 May, 2014, 19:17

रोज सैकड़ों चेहरे देखने को मिले,
न जाने कितने फिर कभी नहीं मिले।
हमने भुला दिए सारे शिकवे-गिले,
क्या पता कोई आखिरी बार मिले।
हम तो अपना दर्द दिल में समेटे चले,
रोएंगे तब जब हिसाब का कांधा मिले।
जिंदगी गुजर गई खुदा से नहीं मिले,
मौत के बाद क्या पता मिले न मिले।
-मिलिंद बायवार