75 साल का आजाद भारत
स्वतंत्रता दिवस एक दिन विशेष नहीं है अपितु उन असंख्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति हमारे सम्मान को प्रदर्शित करने का जरिया भी है जिन्होंने देश को आजाद करने के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया था। यह दिन भारत जैसे विविधिता भरे देश के नागरिकों के अंदर एक राष्ट्र की अवधारणा के साथ एकजुट रहने के लिए प्रेरित करता है तथा राष्ट्र के प्रति एकजुटता और निष्ठा दिखाने एवं देश के प्रति अपने कर्तव्यों का ध्यान भी कराता है। हमें अपने अंदर की उन बाधाओं को तोडऩे की जरूरत है जिनके कारण देश कमजोर हो रहा है। जब तक हम अपने भीतर के गुस्से, भेद-भाव, असहिष्णुता स्वार्थ, जलन आदि से मुक्त नहीं होंगे, तब तक हम सही मायनों में स्वतंत्र नहीं हो सकते।
आजादी की 76वीं वर्षगांठ की बधाई एवं शुभकामना।
15 अगस्त 1947 की आधी रात को जब दुनिया सो रही थी, भारत अपने नए जीवन और आजादी के लिए जाग उठा था। यह वह मौका था जब हम पुराने युग से एक नए युग में कदम रख रहे थे और अपने देश के सुनहरे भविष्य के लिए सपने देख रहे थे।
आजादी के बाद के 75 सालों में देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है और वैश्विक परिदृश्य में भारत का परचम लहराया है।
आजादी के बाद प्रत्येक नागरिक को उसके मौलिक अधिकार प्रदत्त कराना एवं शासन व्यवस्था में उसकी भागीदारी सुनिश्चित करना सबसे बड़ी चुनौती थी। हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने समय के साथ आने वाली चुनौतियों से निपटते हुए इस महत्वपूर्ण उद्देश्य को प्राप्त किया है। आजादी के बाद देश की साक्षरता दर बढ़कर 74 प्रतिशत तक आ गई है तथा देश में गरीबों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। उसके बावजूद अभी भी लगभग 30 करोड़ व्यक्ति गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। आजादी के समय देश में आयु संभाविता 32 वर्ष थी जो 69 वर्ष है। देश के किसानों की मेहनत, बड़े बांधों द्वारा उपलब्ध सिंचाई व्यवस्था तथा हरित क्रांति के परिणाम स्वरूप हम अपनी 135 करोड़ की आबादी को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के मामले में न केवल आत्मनिर्भर हैं बल्कि देश खाद्यान्न का निर्यात भी कर रहा है। आजादी के पहले प्राय: लालटेन की रोशनी के भरोसे रहने वाले देश के शत-प्रतिशत ग्रामों में बिजली की सुविधा उपलब्ध है।
विज्ञान और टैक्नोलॉजी के क्षेत्र में हमारा विश्व में विशिष्ट स्थान है एवं परमाणु ऊर्जा के उपयोग तथा अंतरिक्ष कार्यक्रम में हम आत्मनिर्भर हंै। देश में अधोसंरचना विकास तीव्र गति से हुआ है तथा संचार क्रांति के कारण दुर्गम इलाकों में भी संचार माध्यम उपलब्ध है। जो देश सदियों तक गुलामी की जंजीरों से जकड़ा रहा, वहां के नागरिक आज संपूर्ण विश्व में अपनी प्रतिभा का डंका बजा रहे है। अनेक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भारतीय न केवल काम कर रहे हैं, बल्कि उनमें से अनेक का नेतृत्व भी कर रहे हैं। आजादी के पहले छोटी से छोटी मशीन आयात करने वाला देश अपने स्वयं के इस्पात संयंत्र, भारी उद्योग, परमाणु ऊर्जा केन्द्र, उपग्रह स्थापित कर रहा है। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी एवं आधुनिक संसाधनों से सुसज्जित सेना के साथ एक परमाणु शक्ति के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की अपनी एक साख है।
आजादी के 75 वर्ष बाद भी इतनी ज्यादा साक्षरता होने तथा विकास का स्तर प्राप्त करने के बावजूद देश अभी भी संकीर्ण गुटों में बंटा हुआ है। धर्म, जाति, क्षेत्रीयता एवं भाषा के नाम पर वैमनस्य बढ़ाया जा रहा है। लैंगिक असमानता दूर करना, नारी का यथोचित सम्मान तथा दलितों का उचित सशक्तिकरण अभी भी समाज के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। बढ़ती सामूहिक हिंसा की प्रवृत्ति चिंता का विषय है। हमारी शिक्षा व्यवस्था विश्वस्तरीय नहीं है तथा देश में सबके लिए सुलभ स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव है। बच्चों में कुपोषण की समस्या पर अभी भी पूर्ण नियंत्रण नहीं हुआ है। देश की जनसंख्या वृद्धि दर पर नियंत्रण, देश की बड़ी युवा जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध करा कर बेरोजगारी को कम करना एवं गरीबी को कम करना अभी भी एक बड़ी चुनौती है।
देश की युवा पीढ़ी तथा नेतृत्व से अपेक्षा एवं आशा है कि वह आने वाले समय में अपनी इच्छा शक्ति तथा सामथ्र्य के द्वारा देश को विकास के एक नए सोपान पर लाकर, चारित्रिक दृढ़ता, एवं समानता से परिपूर्ण एक ऐसे आदर्श राष्ट्र के रूप में स्थापित करेंगे, जहां प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्र निर्माण में अपनी सहभागिता का एहसास कर सके।
आजादी के अमृत महोत्सव की शुभकामनाओं सहित...