युद्ध की विभीषिका और महिलायें

युद्ध समग्र रूप से प्रगति का दुश्मन है और नागरिकों तथा राष्ट्रों के लिए गरीबी बढाने का कारक है। युद्ध के कारण नागरिक अनिश्चित विस्थापन की ओर भागते हैं। भोजन और जीवनयापन की अन्य वस्तुओं की कमी होने लगती है। देश के बुनियादी ढ़ांचे का बडे पैमाने पर विनाश होता है और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इन सभी परेशानियों के चलते विशेषकर महिलाओं और लड़कियों पर मानसिक और शारीरिक रूप से बेहद गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। युद्ध और संघर्ष के समाप्त होने के बाद भी लंबे समय तक उन्हें इसका खामियाजा उठाना पडता है। महिलायें शांति स्थापित करने में भी विशेष योगदान दे सकती हैं। जहां महिलायें बातचीत की प्रक्रिया में गहरा प्रभाव डालने में सक्षम होती हैं वहां समझौता होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
वर्तमान में विश्व एक ऐसे माहौल से गुजर रहा है जब कई जगहों पर युद्ध की स्थिति बन गई है। रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-गाजा युद्ध के बाद अब इजरायल-ईरान युद्ध के चलते एक बहुत बड़ा क्षेत्र हिंसा की चपेट में है। शांति स्थापित होने के स्थान पर युद्ध की लपटें और बढ़ती जा रही हैं। बड़ी संख्या में आम नागरिक युद्ध की हिंसा का शिकार हो रहे हैं तथा आधारभूत नागरिक ढ़ांचे को भी गंभीर क्षति पहुंचाई जा रही है। आतंकवादी घटनाओं ने विश्व शांति को खतरे में डाल दिया है तथा आधुनिकतम हथियारों और तकनीकों के चलते विश्व युद्ध जैसी कुशंकाएं पैदा होती जा रही है।
स्वाभाविक तौर पर महिलाओं और लड़कियां युद्ध और संघर्ष का सबसे बुरा शिकार बनती हैं। युद्ध के दौरान उनके सामने सबसे बड़ा खतरा लिंग आधारित हिंसा है। युद्ध की परिस्थितियों में महिलाओं और लड़कियों को यौन हिंसा, दुव्र्यवहार और यातना का सामना करना पड़ता है। हिंसा करने वाले लोग प्राय: अपना नियंत्रण प्राप्त करने लिए उनका उपयोग करते हैं। युद्ध के कारण होने वाली शरणार्थी आबादी में आधे से अधिक महिलाओं और बच्चे होते हैं। महिलायें और लड़कियां शरणार्थी शिविरों में भी सुरक्षित नहीं रहती हंै। युद्ध के दौरान महिलाओं और लड़कियों का स्वाथ्य और सुरक्षा, उनके मानवाधिकार और भविष्य अकल्पनीय जोखिम में पड़ जाते हैं। युद्ध के दौरान जहां पुरुषों से अग्रिम मोर्चे पर लडऩे की अपेक्षा की जाती है, वहीं महिलाओं को अपने परिवार के लिए भोजन, आवास और सुरक्षा प्रदान करनी पड़ती है। कई अफ्रीकी देशों में पाया गया कि युद्ध के संकट के दौरान प्राय: लड़कियों के बालविवाह की दर में असाधारण वृद्धि हुई। 2021 में तालिबान ने जब अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो उनके द्वारा अफगान गांवों की अविवाहित लड़कियों को तालिबानी लड़ाकों से विवाह करने के लिए मजबूर किया गया। कांगो-रवांडा युद्ध के दौरान भी बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाएं सामने आई थी। युद्ध और संकट के समय सुरक्षा कारणों से लड़कियों की शिक्षा पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा कई लड़कियां स्थायी रूप से शिक्षा लेना छोड़ देती है। युद्ध के कारण अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य ढ़ांचे को नुकसान पहुंचता है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बहुत कम हो जाती है। बिजली, पानी और अन्य आधारभूत सुविधाएं बाधित होती हैं जिसका दुष्प्रभाव आम नागरिकों विशेषकर महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। युद्ध की प्राथामिकताओं के कारण देशों के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम तथा अन्य कल्याणकारी कार्यक्रम प्रभावित होते हैं, जिसका सीधा प्रभाव महिलाओं और बच्चों पर पड़ता है।
इन सब परेशानियों के कारण किसी भी युद्ध का महिलाओं और लड़कियों पर मानसिक और शारीरिक रूप से बेहत गंभीर प्रभाव पड़ता है जिसके कारण उन्हें कुपोषण, मानसिक आघात, संक्रामक रोगों, अनैच्छिक गर्भ धारण और उत्पीडऩ से होने वाले तनाव और अवसाद जैसी स्थितिओं का सामना करना पड़ता है।
महिलायें दुनिया की आधी आबादी का हिस्सा हैं, इसीलिए किसी भी देश के मसलों में उनकी भागीदारी होना अहम है। अपने स्वभाव से ही महिलायें हिंसा से दूर रहना चाहती है तथा स्वाभाविक रूप से युद्ध की स्थितिओं की ढालने तथा शांति स्थापित करने में वह अपना योगदान दे सकती हंै। संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के भाग लेने पर शांति समझौता विफल होने की संभावना 34 प्रतिशत तक कम होती है। चूंकि महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बहुत कम है, इसलिए प्राय: वह ऐसी प्रक्रिया से बाहर हो जाती हंै। शांति प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी से अधिक टिकाऊ और लंबे समय तक के लिए शांति हासिल की जा सकती है। महिलाओं की भागीदारी कम से कम दो साल तक चलने वाले शांति समझौते को 20 प्रतिशत और 15 साल की चलने की संभावना को 35 प्रतिशत बढ़ा देती हैं। जहां महिला समूहों का कोई प्रभाव नहीं था या कमजोर प्रभाव था वहां इसके विपरीत स्थिति पाई गई है।
विश्व में चल रहे हिंसक टकरावों की समाप्ति एवं संपूर्ण
विश्व के कल्याण की कामना सहित...