भोपाल।   ट्रेनों में मनमर्जी के ब्रेक लगाने वालों की संख्या कम तो हुई है लेकिन ऐसे लोगों से पूरी तरह छूटकारा नहीं मिला है। इसकी वजह से ट्रेनों में सफर करने वाले लाखों यात्रियों को यात्रा पूरी करने में समय लग रहा है। भोपाल रेल मंडल से गुजरने वाली ट्रेनों में बीते वर्ष 1270 लोगों ने जंजीर खींच दी थी जिसकी वजह से ट्रेनें रूक गईं। ट्रेन को दोबारा चलने में न्यूनतम दस मिनट और अधिकतम 15 मिनट लगे थे। कुछ मामलों में तो इससे भी अधिक समय लगा था। जिसकी वजह से इन ट्रेनों में सफर करने वाले लाखों यात्रियों को परेशान होना पड़ा था ये इतनी ही देरी से अंतिम स्टेशन पहुंचे थे। रेलवे ने ट्रेन रोकने वालो के खिलाफ सख्ती बरती है जिसके बाद इन्हें 8.50 लाख रुपए जुर्माना भरना पड़ा है।

पांच प्रतिशत इन मजबूरियों के कारण खींच जंजीर

ट्रेनों को रोकने वालों से पूछा गया और जांच की गई तो 1270 में से पांच प्रतिशत लोगोंं द्वारा बताई गई वजह सही पाई गई। इन्होंने ने बताया था कि उनके स्वजन प्लेटफार्म पर भीड़ का शिकार हो गए और ट्रेन में चढ़ नहीं पाए। स्वजनों की तबीयत खराब हो गई थी। गेट पर सफर करते समय पैर स्लीप हो गया था। चोर सामान लेकर भाग रहे थे जैसे कारण मिले हैं।

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- टिकट लेकर नहीं चढ़े थे इसलिए ट्रेन स्टेशन पहुंचने वाली थी उसके पहले ही जंजीर खींची और कूदकर भाग रहे थे।

- ट्रेन में टिकट जांचने वाली रेलवे की टीम को जांच पड़ताल करते हुए देखा तो ट्रेन रोककर भाग निकले।

- वेंडरों के बीच आपसी लड़ाई हो गई थी। गुस्से में आकर ट्रेन ही रोक दी।

- ट्रेनों में अवैध रूप से खानपान बेच रहे थे, यात्रियों ने शिकायत कर दी। कार्रवाई के डर से ट्रेन के अगले स्टेशन पर पहुंचने से पहले ही भाग रहे थे।                                                           

सख्ती के बाद आई कमी

कोरोना के पूर्व वर्ष 2018 में 1800 लोगों ने ट्रेनों को रोका था। उसके पूर्व यह संख्या 2000 से अधिक थी। रेलवे ट्रेन रोकने को गंभीर मानता है क्योंकि एक बार ट्रेन ठहरती है तो उसे दोबारा चलने व गति पकड़ने में समय लगता है। ट्रेन लेट हो जाती है और संबंधित ट्रेन की वजह से पीछे से आने वाली दूसरी ट्रेनों का भी इस पर असर पड़ता है। ऐसे मामलों में रेलवे द्वारा संबंधितों की पहचान का पूरा प्रयास किया जा रहा है। इन्हें पकड़कर रेलवे एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। न्यूनतम 500 रुपये से लेकर अधिकतम जुर्माना लगाया जाता है। कुछ मामलों में तो जेल भी जाना पड़ता है। ऐसा उन लोगों के साथ किया जाता है जो ट्रेन को रोकने की घटनाओं में बार बार पकड़े जाते हैं।