प्रधानमंत्री मोदी ने किया आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय मंच के तीसरे सत्र का उद्घाटन

 
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  कहा कि आजादी के 50 साल बाद भी देश में आपदा प्रबंधन को लेकर कोई कानून नहीं था और यह गुजरात ही था, जिसने सबसे पहले 2001 में इस पर कानून बनाया था। प्रधानमंत्री ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय मंच (एनपीडीआरआर) के तीसरे सत्र का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। आजादी के बाद के वर्षों में आपदा प्रबंधन की खराब स्थिति के बारे में बात करते हुए मोदी ने श्रोताओं को बताया कि पांच दशकों के बाद भी आपदा प्रबंधन को लेकर कोई कानून नहीं था। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात पहला राज्य था, जो 2001 में राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम लेकर आया। तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसी एक्ट के आधार पर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट बनाया था। उसके बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अस्तित्व में आया।
यह एक सप्ताह में तीसरी बार है, जब प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता के बाद प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देने की कमी की ओर इशारा किया है। 6 मार्च को मोदी ने बजट वेबिनार को संबोधित करते हुए दावा किया था कि आजादी के बाद कई दशकों तक स्वास्थ्य क्षेत्र में एकीकृत दृष्टिकोण और दीर्घकालिक दृष्टि की कमी थी। बाद में उसी दिन गुजरात रोजगार मेले को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि आजादी के बाद के दशकों में रोजगार सृजन की उपेक्षा की गई थी।
एनपीडीआरआर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री ने पिछले वर्षों में पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आए चक्रवातों के कारण हुई सैकड़ों मौतों को याद किया, यह कहते हुए कि रणनीतियों में बदलाव के साथ भारत अब चक्रवातों से निपटने और उनके कारण होने वाले जान-माल के नुकसान को कम करने में सक्षम है। मोदी ने कहा कि हम प्राकृतिक आपदाओं को रोक नहीं सकते, लेकिन बेहतर रणनीति और व्यवस्था बनाकर हम निश्चित रूप से उनके प्रभावों को कम कर सकते हैं।
मोदी ने यह भी कहा कि तुर्की और सीरिया में हाल ही में आए घातक भूकंप के बाद भारतीय बचाव दलों के काम की वैश्विक सराहना ने हर भारतीय को गौरवान्वित किया है। कार्यक्रम के दौरान मोदी ने सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के प्राप्तकर्ताओं को सम्मानित किया। 2023 पुरस्कार के विजेता ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) और लुंगलेई फायर स्टेशन (मिजोरम) हैं।