जबलपुर ।  हाई कोर्ट ने राज्य की अधीनस्थ अदालतों में लंबित पुराने 25 प्रकरण तीन माह की समय-सीमा में निराकृत करने संबंधी अपने पूर्व आदेश को संशोधित कर दिया है। इसी के साथ वकीलों व पक्षकारों की समस्या का समाधान हो गया है। साथ से लंबे समय से अधिवक्ताओं में व्याप्त असंतोष की स्थिति पर भी विराम लग गया है। स्टेट बार कौंसिल के वाइस चेयरमैन आरके सिंह सैनी, कोषाध्यक्ष मनीष तिवारी व मानद सचिव राधेलाल गुप्ता ने इस सिलसिले में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ के प्रति आभार ज्ञापित किया है। उन्होंने बताया कि संशोधित आदेश में इस तरह की छूट दी गई है, जिससे अधीनस्थ अदालतों, अधिवक्ताओं व पक्षकारों को होने वाली असुविधा से निजात मिल गई है। साथ ही मानसिक दबाव भी कम हुआ है। पूर्व में इसी प्रदेश के वकील इस योजना से बुरी तरह आक्रोशित हो गए थे। लिहाजा, राज्य व्यापी प्रतिवाद दिवस मनाया गया था। इसी दौरान स्टेट बार चेयरमैन प्रेम सिंह भदौरिया की अध्यक्षता में परिषद के सदस्यगण प्रताप मेहता, जितेन्द्र शर्मा, मनीष दत्त, सुनील गुप्ता, शिवेन्द्र उपाध्याय, रामेश्वर नीखरा, हितोषी जय हार्डिया, जगन्नाथ त्रिपाठी, नरेन्द्र जैन, अखंड प्रताप सिंह, डा. विजय कुमार चौधरी, अहादुल्ला उसमानी, राजेश व्यास, जय प्रकाश मिश्रा, मृगेन्द्र सिंह, रश्मि ऋतु जैन्र राजेश कुमार पांडे व राजेश कुमार शुक्ला ने मुख्य न्यायाधीश मलिमठ से बार-बार मुलाकात व चर्चा की। जिसका बेहतर नतीजा सामने आया है।

अब सिर्फ पांच नहीं 10 वर्ष पुराने मामले सुने जाएंगे :

स्टेट बार वाइस चेयरमैन व जिला बार, जबलपुर के अध्यक्ष आरके सिंह सैनी ने बताया कि अब महज पांच नहीं बल्कि 10 वर्ष पुराने प्रकरणों को सुना जाएगा। इस तरह सहज, सुलभ व त्वरित न्यायदान को द्रुतगति मिलेगी। जो पुराने प्रकरण तीन माह की नियत समयावधि में निराकृत नहीं हो पाएंगे, वे ब्लाक में रखे जा सकेंगे। यह बेहद सराहनीय व्यवस्था है।