नई दिल्ली । मनी मैनेजमेंट इंटरनेशनल की क्रेडिट काउंसलर डायना रेकशन के अनुसार नई पीढ़ी के अधिकांश युवा ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेकर मनमाना खर्च कर रहे हैं। युवावस्था में ही उनके ऊपर इतना कर्ज हो गया है,कि अधिकांश कमाई कर्ज चुकाने की किस्त और ब्याज में जा रही है। युवा पीढ़ी कर्ज को गुब्बारे की तरह फुला रहे हैं। युवाओं को यह नहीं पता, कि क्रेडिट कार्ड में सालाना कितना ब्याज उन्हें देना पड़ रहा है। युवा अपने बजट को भी नहीं बनाते और मनमाना खर्च करते हैं। अमेरिका जैसे देश में लाखों युवाओं के ऊपर औसतन 5.40 लाख रुपए का कर्ज क्रेडिट कार्ड का है। अमेरिकी छात्रों के ऊपर शिक्षा का ऋण और अन्य कर्ज भी बड़ी मात्रा में है। युवा पीढ़ी जिस तरीके से खर्च कर रही है। अपनी आय और खर्च के बीच में समन्वय नहीं बना पा रही है। जिसके कारण कर्ज के मकडजाल में इस तरह फंस गई है, उससे निकलना नामुमकिन हो गया है।  कमाई का बड़ा हिस्सा किस्त और ब्याज चुकाने में चला जाता है। क्रेडिट स्कोर बहुत खराब हो गया है। ज्यादा ब्याज दर पर उन्हें कर्ज लेना पड़ रहा है। अमेरिका जैसे देश में युवाओं की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। उनके ऊपर लाखों रुपए का कर्ज है। जिसे चुका पाना उनके लिए इस जन्म में संभव नहीं है।जीवन भर उन्हें ब्याज और किस्त भरनी पड़ेगी। बचत की कल्पना वह कर ही नहीं सकते हैं। क्रेडिट कार्ड और बैंक पेमेंट में देरी होने पर  ब्याज के ऊपर ब्याज, सर चार्ज और अन्य शुल्क बैंक और क्रेडिट कार्ड कंपनियां वसूल कर रहे हैं। जिसके कारण युवाओं की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। अमेरिका में अपराधों के बढ़ने के पीछे भी एक बड़ा कारण आर्थिक विषमता बताया जा रहा है।