हमास के आतंकियों के जरिए इजरायल पर किए गए औचक रॉकेट हमले के बाद अब तक  900 से अधिक इजरायलियों ने अपनी जान गंवा दी है। वहीं, हमास के 600 से अधिक आतंकियों को इजरायल ने ढेर कर दिया है।

इस युद्ध को लेकर दुनिया एक बार फिर दो धड़ों में बंट चुकी है। एक तरफ जहां पश्चिमी देश इजरायल के साथ खड़े हैं, वहीं अरब मुल्क फलस्तीन के समर्थन कर रहे हैं। ईरान के खुलकर फलस्तीन का समर्थन किया है।

कई मीडिया रिपोर्ट्स ने दावा कि ईरान ने हमास के आतंकियों को इजरायल पर हमला करने के लिए उकसाया है। अमेरिका ने सोमवार को ईरान को चेतावनी दी है कि वो इजरायल के खिलाफ कोई ऐसी कार्रवाई न करें, जिससे अमेरिका और ईरान के रिश्तों में और दरार पैदा हो। बता दें कि पिछले कई सालों से अमेरिका और ईरान के संबंधों में खटास बनी हुई है।

जानकारी के मुताबिक, लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह ने उत्तरी इजराइल पर रॉकेटों की बमबारी की थी। सोमवार को व्हाइट हाउस ने ये दावा किया है, लेकिन इस बात को साबित करने के लिए अभी तक उनके पास कोई सबूत नहीं है।

अमेरिका के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल चार्ल्स क्यू. ब्राउन ने कहा,"ईरान इस विवाद में शामिल न हों।"

 ब्राउन ने बताया कि हम ईरान तक मजबूत संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि वो इजरायल के खिलाफ कोई कार्रवाई न करें। अमेरिका लगातार इजरायल को हवाई सुरक्षा, युद्ध सामग्री और अन्य सुरक्षा सहायता मुहैया करा रहा है।  

सोमवार को इजरायली सेना ने लेबनान में सैन्य कार्रवाई करते हुए तीन हिज्बुल्लाह आतंकवादी को मार गिराया।  

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात भी की है। इसके साथ ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इजरायल को समर्थन देने की बात कही है।

अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और इटली ने इजरायल के समर्थन में एक संयुक्त बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने इस आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा,"हमारे देश इस तरह के अत्याचारों के खिलाफ अपनी और अपने लोगों की रक्षा करने के प्रयासों में इजरायल का समर्थन करेंगे।"

वहीं, फलस्तीन के  राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने संयुक्त राष्ट्र से इजरायल के हमलों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया है।