नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा शासित एमसीडी पिछले दो सालों से बच्चों को किताबें, ड्रेस, स्टेशनरी आदि मूलभूत जरूरतें मुहैया नहीं कर रही है। ‘आप’ विधायक एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार से फंड मिलने के बावजूद एमसीडी बच्चों को मूलभूल जरूरतें मुहैया नहीं कर रही है। कोरोना के समय भी एमसीडी बच्चों को किताबें-ड्रेस नहीं दे रही थी जिसपर ‘आप’ ने सवाल उठाया था। इसपर एमसीडी ने सीधा खाते में पैसा भेजने का वादा किया था जिससे बच्चे उन पैसों से किताबें-स्टेशनरी खरीद पाएं लेकिन वह वादा भी झूठा निकला। आम आदमी पार्टी का कहना है कि यह सारा पैसा भाजपा के किस नेता या किस अधिकारी की जेब में जा रहा है इसकी जांच होनी चाहिए। दुर्गेश पाठक ने कहा कि इस पूरे मामले पर आम आदमी पार्टी एलजी को भी पत्र लिखेगी।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता, विधायक एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि दिश में ‘शिक्षा का अधिकार’ को लेकर एक बहुत बड़ा आंदोलन चला। सिविल सोसाइटीज, एनजीओ और शिक्षकों ने बहुत समय तक आंदोलन चलाया कि हिंदुस्तान में हर बच्चे को शिक्षा का मौलिक अधिकार मिलना चाहिए। बड़ी मुश्किलों के बाद 2010 में यह बिल पास हुआ कि हर बच्चे को शिक्षा मिले इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की ड्रेस, स्टेशनरी, किताबें आदि भी सरकार ही देगी। हिंदुस्तान की लगभग सभी सरकारें यह काम कर रही हैं लेकिन भाजपा शासित एमसीडी इस पूरे बिल का बड़ी बेशर्मी से उलंघन कर रही है।
उन्होंने कहा कि आज लगभग 10 लाख बच्चे एमसीडी के स्कूलों में पढ़ते हैं लेकिन वह बच्चे अपनी ड्रेस, किताबों और स्टेशनरी के लिए तरस रहे हैं। अगस्त का महीना चल रहा है, स्कूल खुले हुए काफी समय हो गया है लेकिन अभीतक एमसीडी ने बच्चों को मूलभूत चीजें भी उपलब्ध नहीं कराई हैं। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है। जब कोरोना के समय में स्कूल बंद थे तो एमसीडी ने कोरोना का बहाना देकर बच्चों को किताबें और ड्रेस नहीं दीं। आम आदमी पार्टी ने कहा कि भले ही बच्चों को अभी ड्रेस की जरूरत ना हो लेकिन उन्हें किताबें तो मिलनी चाहिए। ऑनलाइन क्लासेस चल रही थी लेकिन बच्चों के पास किताबें तक नहीं थीं। एमसीडी ने कहा कि हम बच्चों के खाते में पैसा डाल देंगें लेकिन बाद यह वादा भी झूठा निकला।
‘आप’ विधायक ने कहा कि एमसीडी के स्कूलों में दिल्ली का सबसे गरीब तपका पढ़ने जाता है। उन लोगों के पास इतना पैसा नहीं होता है कि खुद के लिए किताबें, ड्रेस आदि चीजें खरीद पाएं। पिछले दो साल से एमसीडी बच्चों को स्टेशनरी, किताबें, ड्रेस आदि मुहैया नहीं करा रही है। दिलचस्पी की बात यह है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि इनसब चीजों पर एमसीडी पूरा पैसा खुद से लगाती है। इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार भी पैसा देती है। हर जगह से मदद मिलने के बावजूद एमसीडी बच्चों तक जरूरत की चीजें नहीं पहुंचा रही है। इसका मतलब है कि इसमें कुछ बड़ी गड़बड़ चल रही है।
भाजपा से प्रश्न करते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा कि अगस्त का महीना है और बच्चों को अभीतक जरूरत की चीजें क्यों नहीं मिली हैं? इसका जो भी पैसा केंद्र सरकार और राज्य सरकार से आता है वह सारा पैसा कहां जा रहा है? भाजपा का कौन सा अधिकारी या नेता यह पैसा खा रहा है? आम आदमी पार्टी इस पूरे मामले की जांच की मांग करती है। हम एलजी को पत्र लिखेंगे। मोदी जी ने कहा था कि एमसीडी के एकीकरण के बाद कोई समस्या नहीं होगी तो बच्चों के साथ ऐसा अन्याय क्यों हो रहा है? भारतीय जनता पार्टी शासित एमसीडी की अक्षमता के कारण लाखों बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है।