भोपाल । भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने यूनानी मेडिकल कालेजों की मान्यता के संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। कालेजों के प्राचार्यों, डायरेक्टर और डीन को पत्र भेजकर कहा कि आयोग मान्यता पद्धति में किसी भी तरह की गड़बड़ी न की जाए। आयोग जीरो टालरेंस की नीति पर काम कर रहा है। आयुर्वेद महासम्मेलन व आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रवक्ता डा. राकेश पांडेय ने इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यूनानी मेडिकल कालेजों को मान्यता दिलाने के नाम पर भ्रष्टाचार या ठगी पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। आयोग के सचिव डा. रघुराम भट्ट ने मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश समेत सभी राज्यों में संचालित आयुर्वेद, सिद्धा, सोवा-रिग्पा व यूनानी कालेजों को मापदंड पूरे करने के निर्देश दिए गए हैं।
आयोग ने यह भी कहा है कि मान्यता मामले में भ्रष्टाचार की जानकारी देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि देशभर में 500 से ज्यादा आयुर्वेद, सिद्धा, सोवा-रिग्पा व यूनानी मेडिकल कालेज संचालित हैं। जून के अंतिम सप्ताह से सत्र 2022.23 की मान्यता के लिए केंद्रीय केंद्रीय आयुष मंत्रालय के निर्देश पर एनसीआइएसएम कालेजों की निगरानी शुरू कर देगा।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज के कैंसर चिकित्सालय में मरीज परेशान हो रहे हैं। कई दिनों से कोबाल्ट मशीनें बंद पड़ी हैं। मशीनों में आई तकनीकी खामी को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं। बताया जाता है कि कोबाल्ट मशीनों से कैंसर मरीजों को रेडिएशन दिया जाता है। जो बंद पड़ा है जिससे मरीजों की सेहत बिगड़ रही है।
मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान चिकित्सा विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यपरिषद की बैठक में कई निर्णय लिए गए। विश्वविद्यालय को नए भवन में स्थानांतरित करने, नई ठेका कंपनी को डिग्री व मार्कशीट छापने, कालेजों की संबद्धता पर चर्चा हुई। ठेका कंपनी ने फाइनल प्रजेंटेशन दिया था, जिसके बाद तय माना जा रहा था की कई माह से रुका यह कार्य जल्द पटरी पर आ जाएगा। इधर, एक सदस्य की आपत्ति के कारण वर्ष 2019-20, 2020-21 की संबंद्धता का मामला फिर अटक गया। विश्वविद्यालय से प्रदेश के करीब 400 मेडिकल, नर्सिंग व पैरामेडिकल कालेज संबद्ध हैं, परंतु करीब 35 कालेजों की संबद्धता को लेकर हर बैठक में पेंच फंस रहा है, जिसके चलते उक्त कालेजों के छात्र छात्राओं को भविष्य अधर में लटका है।