छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैंसा के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में कई प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक वर्ष पहले उदंती में एकमात्र मादा वन भैंसा की मौत के बाद इसके नस्ल बढ़ाने की दिशा में सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान पर ब्रेक लग गया है। अब वन विभाग द्वारा वन भैंसा के कंकाल को म्यूजियम (संग्रहालय) में रखने की योजना है। देश में वन भैंसा के कंकाल को म्यूजियम में रखने का यह पहला अवसर होगा।

गरियाबंद जिले के उदंती अभयारण्य में कुछ वर्ष पहले तक बड़ी संख्या में राजकीय पशु वन भैंसा पाये जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे इसकी संख्या ऐसे घटी की अब मात्र 7 नर वन भैंसा ही अभयारण्य में बचे हैं, जिसमें से एक वन भैंसा प्रिंस आंख की परेशानी की वजह से बीमार है। खुले जंगल में एक भैंसा राजा घूम रहा है। उदंती अभयारण्य के कक्ष क्रमांक-82 में वन विभाग द्वारा संरक्षण-संवर्धन केंद्र बनाकर 30 हेक्टेयर जंगल बाड़े में 5 वन भैंसा छोटू, मोहन, वीरा, सोमू एवं हीरा को रखा गया है। घटती संख्या को देखते हुए वन विभाग द्वारा वन भैंसा के कंकाल को संग्रहालय में रखने की तैयारी की जा रही है, जिससे आने वाली पीढ़ी को वन भैंसा के बारे में जानकारी दी जा सके।

मैनपुर उदंती अभयारण्य में श्यामू एवं जुगाड़ू नाम के वन भैंसा की मौत 2018 में हुई थी। मृत वन भैंसा को अभयारण्य में ही दफनाया गया है, ताकि भविष्य में इसके कंकाल को निकाला जा सके। विभागीय सूत्रों के अनुसार पिछले वर्ष इस कंकाल को निकालना था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण वन भैंसा के कंकाल को निकलने वाली विशषज्ञों का टीम उदंती अभयारण्य नहीं पहुंच पाई थी। उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व के उप निदेशक आयुष जैन ने बताया कि अभयारण्य में दफनाए गए वन भैंसा के कंकाल को सुरक्षित तरीके से निकाला जाएगा और इसे संग्रहालय में रखा जाएगा। इसके लिए अनुमति भी ली जा चुकी है। उन्होंने बताया कि कौन से संग्रहालय में रखा जाएगा, यह शासन स्तर पर तय होगा। देश में यह पहला मामला है, जब वन भैंसा के कंकाल को संग्रहालय में रखने की तैयारी की जा रही है।