उज्जैन । एक साधारण आंधी में महाकाल महालोक परिसर में स्थापित सप्त ऋषियों की 7 मूर्तियों में से 6 मूर्तियां खंडित हो गई थी। इसके बाद सभी मूर्तियों का जबसावधानी के साथ निरीक्षण किया गया। तब 11 अन्य मूर्तियां भी खंडित पाई गई हैं। इसको लेकर भक्तों में भय व्याप्त हो गया है। 
भगवान भोलेनाथ सहित महाकाल लोक की 11 अन्य मूर्तियों में भी दरारें देखने को मिल रही हैं। भगवान शिव की प्रतिमा के सीने और हाथ में दरार आ गई है। उज्जैन के रक्षक बटुक भैरव की मूर्ति ने तो अपना बेस ही छोड़ दिया है। त्रिपुरासुर वध के रथ में लगे छत्र में भी दरार आ गई है। महाकाल लोक की यह सबसे बड़ी प्रतिमा है। रथ के पहिए में भी दरारें देखी गई हैं। कार्तिकेय के भाला पकड़े मूर्ति के हाथ का रंग खराब हो गया है। इसमें भी दरार हैं। कमलासन महालक्ष्मी की कमल की पत्तियां अपनी जगह छोड़ चुकी हैं। मणिभद्र की नीचे लेटी हुई प्रतिमा पर भी दरारें हैं। कई मूर्तियों का रंग उतर चुका है। कुल मिलाकर 7 माह के अंदर मामूली आंधी में मूर्तियों के खंडित हो जाने जय महाकाल लोक में हुआ भ्रष्टाचार उजागर हो गया। वहीं इस घटना के बाद भक्तों में भय व्याप्त हो रहा है। इसे कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा के रूप में भी देखा जाने लगा है। 


नहीं लगेंगी खंडित मूर्तियां
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि जो मूर्तियां खंडित हो गए हैं उन्हें पुनः नहीं लगाया जाएगा उसके स्थान पर नई मूर्तियां बनाकर लगाने के आदेश मुख्यमंत्री ने दिए हैं नगरी आवास विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भी खंडित मूर्तियों को नहीं लगाने की पुष्टि की है। 
महाकाल लोक परिसर का प्रस्ताव कांग्रेस के शासनकाल में तैयार हुआ था यह दावा कांग्रेस कर रही है वहीं भाजपा इसे अपना पूरा प्रोजेक्ट बता रही थी लेकिन जैसे ही आंधी के कारण सप्त ऋषि की मूर्तियां खंडित हुई उसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने और भाजपा सरकार ने इसका दोष कांग्रेस के सिर पर मडने का प्रयास किया जिसके कारण दोनों ही राजनीतिक दलों में बयानबाजी तेज हो गई है।