सूर्य को ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति की आत्मा माना जाता है. इसका दूषित होना सारे जीवन को अस्त व्यस्त कर देता है. इसके मजबूत होने पर जीवन में वैभव और समृद्धि मिलती है. कमजोर होने पर दरिद्रता और खराब स्वास्थ्य का सामना करना पड़ता है.

सूर्य से मुख्य रूप से तीन तरह के राजयोग बनते हैं, जो व्यक्ति को अपार प्रतिष्ठा देते हैं.

सूर्य का पहला राजयोग- वेशि
कुंडली में सूर्य के अगले घर में किसी ग्रह के स्थित होने से वेशि योग बनता है. लेकिन ये ग्रह चन्द्रमा, राहु या केतु नहीं होने चाहिए. तभी जाकर वेशि योग का लाभ मिलता है. इस योग के होने पर व्यक्ति अच्छा वक्ता और धनवान होता है. ऐसे लोगों को जीवन की शुरुआत में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. लेकिन आगे चलकर ये लोग खूब धन संपत्ति और यश अर्जित करते हैं. इन लोगों को अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए और गुड़ जरूर खाना चाहिए.

सूर्य का दूसरा राजयोग- वाशि
सूर्य के पिछले घर में किसी ग्रह के होने पर वाशि योग बनता है. लेकिन ये ग्रह चन्द्र, राहु या केतु नहीं होने चाहिए. तभी जाकर यह योग शुभ फल दे पाएगा. यह योग व्यक्ति को बुद्धिमान, ज्ञानी और धनवान बनाता है. ऐसे लोग राजा की तरह जीवन जीते हैं. इस योग के कारण व्यक्ति बहुत सारी विदेश यात्राएं करता है. इन्हें घर से दूर जाकर खूब सफलता मिलती है. इस योग के होने पर सूर्य को जल जरूर चढ़ाएं. साथ ही, सोने के लिए लकड़ी के पलंग का प्रयोग करें.

सूर्य का तीसरा राजयोग- उभयचारी योग
सूर्य के पहले और पिछले, दोनों भाव में ग्रह हों तो उभयचारी योग बनता है. लेकिन ये ग्रह चन्द्र, राहु या केतु नहीं होने चाहिए. तब यह शुभ योग फलीभूत होता है. इस योग के होने पर व्यक्ति बहुत छोटी जगह से बहुत ऊंचाई तक पंहुचता है. इसके कारण व्यक्ति अपने क्षेत्र में बहुत प्रसिद्धि प्राप्त करता है. इस योग के कारण व्यक्ति हर समस्या से बाहर निकल जाता है. व्यक्ति को राजनीति और प्रशासन में बड़े पद मिल जाते हैं. ऐसे लोग रविवार का उपवास जरूर रखें. साथ ही, एक लाल रंग का रुमाल भी अपने पास रखें.