कृष्ण की प्राण प्यारी राधा रानी की लीलाएं ब्रज में भी आपको देखने को मिलेंगीं. जहां कृष्ण हैं, वहीं राधा हैं, और जहां राधा हैं, वहीं कृष्ण हैं. गोवर्धन के पास एक गांव में ऐसा कुंड है, जहां राधा रानी ने अपने कंगन से कुंड का निर्माण कराया था. परिक्रमा के मार्ग में एक चमत्कारी कुंड पड़ता है. इसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है.

मथुरा के राधा कुंड की कहानी
राधा कुंड के सेवायत पुजारी मुकेश पंडित ने लोकल18 को जानकारी देते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में गोवर्धन गिरधारी की परिक्रमा के मार्ग में एक चमत्कारी कुंड पड़ता है, जिसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है. इस कुंड के बारे में मान्यता है कि नि:संतान दंपत्ति कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को यहां दंपत्ति एक साथ स्नान करते हैं, तो उन्हें संतान की प्राप्ति हो जाती है.

राधा रानी ने कंगन से खोदा था कुंड
नारद जी के कहने पर ही श्री कृष्ण ने यह कुंड अपनी बांसुरी से खोदा था और सभी तीर्थों से उस कुंड में आने की प्रार्थना की जिसके बाद सभी तीर्थ उस कुंड में आ गए. इसके बाद श्री कृष्ण के कुंड को देखकर राधा जी ने भी अपने कंगन से एक कुंड खोदा. जब श्री कृष्ण ने उस कुंड को देखा तो उसमें प्रतिदिन स्नान करने और उनके द्वारा बनाए गए, कुंड से भी अधिक प्रसिद्ध होने का वरदान दिया. जिसके बाद यह कुंड राधा कुंड के नाम से प्रसिद्ध हो गया. इस कुंड की अपनी एक अलग मान्यता भी है. इस प्रथा से जुड़ी एक कथा का पुराणों में भी वर्णन मिलता है. जिस समय कंस ने भगवान श्री कृष्ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नामक दैत्य को भेजा था.

कृष्ण के गौहत्या से भी जुड़ी है मान्यता
उस समय अरिष्टासुर गाय के बछड़े का रूप लेकर श्री कृष्ण की गायों के बीच में शामिल हो गया और उन्हें मारने के लिए आया. भगवान श्री कृष्ण ने उस दैत्य को पहचान लिया. इसके बाद श्री कृष्ण ने उस दैत्य को पकड़कर जमीन पर फेंक दिया और उसका वध कर दिया. यह देखकर राधा जी ने श्री कृष्ण से कहा कि उन्हें गौ हत्या का पाप लग गया है. इस पाप से मुक्ति के लिए उन्हें सभी तीर्थों के दर्शन करने चाहिए.

श्री कृष्ण के कुंड की कहानी
राधा जी की बात सुनकर श्री कृष्ण ने नारद जी से इस समस्या के समाधान के लिए उपाय मांगा. देवर्षि नारद ने उन्हें उपाय बताया कि सभी तीर्थों का आह्वान करके उन्हें जल रूप में बुलाएं और उन सभी तीर्थों के जल को एक साथ मिलाकर स्नान किया. जिससे उन्हें गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाएगी. वहीं, श्री कृष्ण ने एक कुंड में सभी तीर्थों के जल को आमंत्रित किया और कुंड में स्नान करके पाप मुक्त हो गए. इस कुंड को कृष्ण कुंड कहा जाता है, जिसमें स्नान करके श्री कृष्ण गौ हत्या के पाप से मुक्त हुए थे. माना जाता है कि इस कुंड का निर्माण श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से किया था.