टालोहासी ।  अमेरिका के कृषि विभाग की वेबसाइट के मुताबिक, विशालकाय अफ्रीकी घोंघे पूर्वी अफ्रीका में पाए जाते हैं। ये दुनिया के सबसे खतरनाक घोंघे हैं। ये अब तक करीब 500 अलग-अलग तरह के पौधे, पेड़ों की छाल, यहां तक कि घरों के पेंट और प्लास्टर भी खा चुके हैं। फ्लोरिडा में खाड़ी के तट पर सैकड़ों विशालकाय अफ्रीकी घोंघे देखे गए हैं। बताया जा रहा है कि ये घोंघे स्थानीय पेड़-पौधों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
स्थानीय विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा है कि इनसे मनुष्यों में भी एक दुर्लभ तरह के मेनिनजाइटिस के फैलने का खतरा है।   ये घोंघे गैस्ट्रोपॉड प्रजाति के हैं। इनका खोल इंसानों की मुट्ठी के आकार तक बढ़ सकता है। गैस्ट्रोपॉड एक ऐसे परजीवी को फैलाते हैं जिसे रैट लंगवार्म के नाम से जाना जाता है। इसी पैरासाइट से इंसानों में मेनिन्जाइटिस फैलता है। इसके लक्षणों में मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, बुखार और उल्टी शामिल हैं।स्थानीय प्लांट इंडस्ट्री डिवीजन के सहायक निदेशक ग्रेग होजेस के मुताबिक, विशेषज्ञों ने पास्को काउंटी में न्यू पोर्ट रिची के ताम्पा उपनगर से, एक हजार से ज़्यादा घोंघे इकट्ठा किए हैं। इन सभी के टेस्ट किए गए हैं, जिसमें अब तक रैट लंगवार्म पैरसाइट नहीं पाया गया है, जो राहत की बात है। संक्रमण को रोकने के लिए लोगों को हिदायत दी गई है कि वे न तो घोंघे को छूएं और न ही इन्हें खाएं। क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। घोंघों से निपटने के लिए न्यू पोर्ट रिची के आसपास के इलाकों की निगरानी की जा रही है। जब तक घोंघों को खत्म नहीं कर दिया जाता, तब तक प्रशासन इस इलाके पर पूरी नज़र रखेगा। घोंघे और स्लग को कंट्रोल करने के लिए मेटलडिहाइड नाम के कीटनाशक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इनका खात्मा करने के लिए करीब 18 महीने का समय लग सकता है। करीब 2 साल तक इस क्षेत्र की निगरानी की जाएगी।
हालांकि अभी तक यह पता नहीं लगा है कि ये अफ्रीकी घोंघे फ्लोरिडा तक कैसे पहुंचे। लेकिन कृषि विभाग के मुताबिक, इन घोंघों को कारगो के ज़रिए या फिर खाने के लिए या पालने के मकसद से, अवैध रूप से इंपोर्ट किया गया है। यह तीसरी बार है कि फ्लोरिडा में विशाल अफ्रीकी घोंघा पाया गया है। सबसे पहली बार, इसे 1960 के दशक में यहां देखा गया था। उस समय, प्रशासन को इसे खत्म करने में करीब एक मिलियन डॉलर का खर्च करने पड़े थे और करीब 10 साल का समय लग गया था। उसके बाद साल 2010 में इसका संक्रमण हुआ। इस बार भी प्रशासन को इससे छुटकारा पाने में करीब एक दशक का समय लगा और 23 मिलियन डॉलर खर्च करने पड़े थे।