हिंदू धर्म में खरमास लगते ही शादियों पर विराम लग जाता है. जब मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है, तब खरमास खत्म हो जाता है. इसी के बाद कुछ महीनों तक शहनाइयों की गूंज सुनाई देने लगती है. लेकिन, इस बार खरमास के बाद शादी-विवाह के लिए 4 महीनों में सिर्फ 10 मुहूर्त हैं.

दरअसल, 14 मार्च से 13 अप्रैल तक खरमास चलेगा. इस बीच विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं है. इसके अलावा मई और जून में भी विवाह के लिए मुहूर्त नहीं है. वहीं अप्रैल और जुलाई में भी ज्यादा मुहूर्त नहीं हैं. माना जाता है की शुभ मुहूर्त में विवाह करने से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है.

18 अप्रैल से विवाह होंगे प्रारंभ
खरमास लग चुका है, जो अप्रैल महीने की 13 तारीख तक चलेगा. इसके बाद मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने के साथ ही मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे. नक्षत्रों के आधार पर देखें तो 18 अप्रैल से 26 अप्रैल तक विवाह के लिए मुहूर्त रहेंगे. इसके बाद फिर दो महीने तक कोई मुहूर्त नहीं है.

मई, जून में नहीं है मुहूर्त
वैशाख कृष्ण चतुर्थी 28 अप्रैल से आषाढ़ कृष्ण अमावस्या 5 जुलाई तक तारा अस्त रहेगा. शास्त्रों के अनुसार, शुक्र और गुरु के अस्त में विवाह सहित कोई भी शुभ कार्य नहीं होते हैं, इसलिए इस साल विवाह के मुहूर्त सीमित हैं. अप्रैल के बाद मई, जून में कोई भी मुहूर्त नहीं है.

नोट करें विवाह की तिथियां
खरमास खत्म होने के बाद 18 अप्रैल को पहला शुभ मुहूर्त रहेगा. इसके बाद 20, 21, 24 और 26 अप्रैल का मुहूर्त है. हालांकि, 28 अप्रैल को तारा अस्त के पहले प्रातः काल में भी विवाह के लिए मुहूर्त है. फिर, जुलाई में विवायुक्त नक्षत्र उदय होने के बाद 11 जुलाई को पहला मुहूर्त रहेगा. इसके बाद 12, 13 तथा 14 जुलाई को मुहूर्त है. कुल मिलाकर अप्रैल और जुलाई में सिर्फ 10 मुहूर्त विवाह के लिए हैं. इसके अलावा विवाह योग्य अन्य मुहूर्त नहीं हैं.