नई दिल्ली । समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव से आजम खान की नाराजगी की खबरों के बीच बुधवार को राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) अध्यक्ष जयंत चौधरी उनके परिवार से मिलने पहुंचे। जयंत ने कहा कि उनका मानना है कि किसी भी राजनीतिक दल में अलग अलग मत होना उस दल में लोकतंत्र के जीवित होने का प्रमाण है। अंदरूनी बिखराव के मुद्दे पर बोलने से बचते नजर आए। उन्होने कहा कि वह रामपुर में लखीमपुर कांड के मुख्य गवाह से मिलने आए हैं। साथ ही वह आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम और पत्नी डॉ तंज़ीन फातिमा से मिलने आए हैं। उन्होंने कहा कि किसी दल में अलग-अलग सोच के चलते विभिन्न मत हो सकते हैं, यही लोकतंत्र की अच्छाई है। उन्होने कहा “ आजम खान वरिष्ठ नेता हैं और उनके परिवार से खान परिवार के तीन पीढ़ियों के संबंध हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में मिली हार की समीक्षा होनी चाहिए और लोकतंत्र में अलग-अलग राय हो सकती है। एक दल में अलग-अलग सोच हो सकती है और यह आंतरिक लोकतंत्र का प्रमाण है। लोकतंत्र के अगले पड़ाव और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए समझने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि बेहतर तरीके से प्रदर्शन किया जा सके।” जयंत ने कहा “ मैं यहां किसी दल या नेता का पक्ष रखने नहीं आया हूं, बल्कि मेरी संवेदना इस परिवार के साथ है। जिस तरीके से इस परिवार को प्रताड़ित किया गया है, यह लोग हिम्मत वाले हैं और लड़ते रहें।” उन्होंने कहा कि परिवार से आजम खान को लेकर काफी बातचीत हुई है। उनके स्वास्थ्य को लेकर मेदांता में उन्हें जो सुविधाएं प्रशासनिक तौर से राहत मिलनी चाहिए थी और जो उनके मुकदमे चल रहे हैं और उनकी जमानत रिजर्व हो चुकी है बावजूद इसके जिस गति से सुनवाई होनी चाहिए थी, उस गति से नहीं हो पा रही है। जयंत चौधरी ने कहा कि सियासत आज किस ओर चल रही है,सबको मालूम है। हर त्यौहार को खराब वातावरण में तब्दील कर दिया गया है। जो त्यौहार एक दूसरे से भाईचारे, मिलने जुलने, मिठाई खिलाने के होते थे, आज उन त्योहारों को मनाने के लिए लोग तलवार लेकर जा रहे हैं। उन्होने नौजवानों का आह्वान करते हुए कहा कि महंगाई की समस्या, बेरोजगारी की समस्या, नौजवानों की सुनवाई नहीं हो रही, इसकी समस्या के विरोध में नौजवानों को सड़कों पर आना चाहिए।