आलीराजपुर ।   जिले में भगोरिया हाट का उल्लास इस बार एक मार्च से छाएगा। एक सप्ताह तक नगर, कस्बे से लेकर ग्राम में हाट बाजार के दिन भगोरिया मेले लगेंगे। इनमें हजारों की संख्या में लोग उमड़ेंगे। भगोरिया की शुरुआत इस बार चांदपुर, बरझर, बोरी और खट्टाली से होगी। समापन बखतगढ़ और आंबुआ के भगोरिया हाट से होगा।

मांदल की थाप पर होगा नृत्य

बता दें कि परंपरागत रूप से होली के एक सप्ताह पूर्व से भगोरिया लोक उत्सव यहां आयोजित होता है। चाहे कोई कहीं भी हो, भगोरिया पर अपने गांव जरूर लौटता है। इस लोक उत्सव में अद्भुत और बेहद प्राचीन आदिवासी संस्कृति के विविध रूप देखने को मिलते हैं। आदिवासी समाजजन पारंपरिक वेशभूषा में लोक उत्सव में शामिल होते हैं। मांदल की थाप और बांसुरी की सुरीली तान आयोजन में चार चांद लगा देती है। समूह में थिरकते हुए जब टोलियां निकलती हैं तो हर कोई झूमने लगता है।

व्यापारियों को भगोरिया से अच्छे कारोबार की आस

झूले-चकरी और खिलौने बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र रहते हैं। भगोरिया से एक सप्ताह पहले त्योहारिया हाट लगते हैं। इनमें जमकर व्यापार होता है। व्यापारियों को भगोरिया में अच्छे कारोबार की आस रहती है। इसके लिए कारोबारी अभी से तैयारी में जुटे हुए हैं। भगोरिया के मद्देनजर वस्त्र, गहने, सौंदर्य प्रसाधन, जूते-चप्पल आदि की खरीदारी जमकर होती है। खानपान की सामग्री भी जमकर बिकती है।

वालपुर का भगोरिया सबसे खास

झाबुआ-आलीराजपुर में ग्राम वालपुर का भगोरिया सबसे खास माना जाता है। यहां देश-दुनिया से लोग आदिवासी संस्कृति से रूबरू होने के लिए आते हैं। वालपुर का भगोरिया इसलिए खास होता है, क्योंकि यहां एक साथ तीन प्रांतों की संस्कृति के दर्शन होते हैं। यही वजह है कि वालपुर में देश-विदेश से सबसे अधिक सैलानी भगोरिया देखने के लिए पहुंचते हैं।

 आलीराजपुर जिले में कब कहां पर लगेगा भगोरिया हाट

1 मार्च - चांदपुर, बरझर, बोरी, खट्टाली

2 मार्च - फुलमाल, सोंडवा, जोबट

3 मार्च - कठ्ठीवाड़ा, वालपुर, उदयगढ

4 मार्च - नानपुर, उमराली

5 मार्च - छकतला, सोरवा, आमखुट, झीरण, कनवाड़ा, कुलवट

6 मार्च - आलीराजपुर, आजादनगर, बड़ा गुड़ा

7 मार्च - बखतगढ़, आंबुआ