भोपाल एम्स को हाईटेक बनाया जा रहा
भोपाल । मप्र में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने के लिए जहां एक तरफ प्रशासन लगातार प्रयास कर रही है। तो वही दूसरी तरफ भोपाल एम्स को हाईटेक बनाया जा रहा है। ताकि मरीजों को बेहतर से बेहतर उपचार मिल सके। इसी कड़ी में एम्स भोपाल में पहली रोबोटिक सर्जरी की गई। जहां डॉक्टर्स ने रोबर्ट के जरिये स्पाइन की सर्जरी की। सफलता पूर्वक ऑपरेशन को लेकर डॉक्टर्स में ख़ुशी की लहर है। एम्स में रोबोट द्वारा दो स्पाइन सर्जरी डॉ. वीके वर्मा एवं डॉ. पंकज मिश्रा द्वारा की गई, जो कि सफल रही और मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं। इस सफलता में एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वैशाली एवं डॉ. जेपी शर्मा का विशेष सहयोग रहा। ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रमुख डॉ. रेहान उल हक ने बताया कि रोबोट का उपयोग स्पाइन के साथ-साथ पेल्विक इंजरी की सर्जरी में भी मददगार सिद्ध होगा।
भोपाल एम्स में रोबोटिक सर्जरी शुरू होने की जानकारी एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने दी। उन्होंने कहा कि एम्स भोपाल ने 20 करोड़ में रोबोट खरीदा। जिसके लिए केंद्र सरकार ने मदद की। डॉ. अजय सिंह ने आगे कहा कि पिछले 2 साल से एम्स भोपाल रोबर्ट खरीदने की तैयारी कर रहा था। जिसे फाइनली केंद्र सरकार की मदद से खरीद लिया गया। पहली सफलता पूर्ण रोबोटिक सर्जरी पिछले हफ्ते की गई। बता दें कि मप्रमें अब तक रोबोटिक सर्जरी की सुविधा किसी भी सरकारी अस्पताल में नहीं है। हालांकि, इंदौर के एक निजी अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत हो गई है। इसके अलावा दिल्ली एम्स, अपोलो, फोर्टिस और मुबंई के टाटा मेमोरियल समेत देश के कुछ खास अस्पतालों में ही रोबोटिक सर्जरी की सुविधा है।
सबसे अधिक कैंसर मरीजों को फायदा
एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत होने से सबसे अधिक फायदा कैंसर के मरीजों को मिलेगा। इसके साथ ही यह सुविधा शुरु होने से यूरोलॉजी, ऑर्थोपेडिक, कैंसर, जनरल और प्लास्टिक सर्जरी करवाने वाले मरीजों के ईलाज में भी आसानी होगी। इसके लिए तैयारियां चल रही है।
जटिल पीडियाट्रिक सर्जरी भी होगी
एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह, जो स्वयं एक पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक सर्जन है, उन्होंने बताया कि रोबोटिक असिस्टेंस से बच्चों के रीढ़ की हड्डी की विकृति, जैसे काइफोसिस या स्कोलियोसिस और जटिल स्पाइन रोगों की सर्जरी को आसान और सुरक्षित रूप से किया जा सकता है। डॉ. अजय सिंह ने बताया कि एम्स भोपाल मध्य भारत में ऐसा पहला सेंटर बन गया है जहां पर रोबोटिक पद्धति द्वारा ऑर्थोपेडिक विभाग में स्पाइन सर्जरी की सुविधा उपलब्ध हो गई है। थ्री डी इमेजिंग और रोबोटिक प्रणाली वास्तविक समय में इमेजिंग प्रदान करके आर्थोपेडिक सर्जरी में, विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी की प्रक्रियाओं में, अधिक सटीकता और सुरक्षा प्रदान करती है। इससे सर्जनों को सटीक निर्णय लेने और संभावित रूप से जटिलताओं और विकिरण जोखिम को कम करने में सहायता मिलती है। स्पाइन सर्जरी में रोबोट का मुख्य उपयोग फीहँड या फ्लोरोस्कोपी निर्देशित प्रक्रियाओं की तुलना में सुरक्षित पेडिकल स्वरू फिक्सेशन सुनिश्चित करने में होता है। अब एम्स भोपाल में इस सुविधा के हो जाने से जटिल स्पाइन सर्जरी को सुरक्षित रूप से किया जा सकता है।
बच्चों के लिए भी खास
एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह, जो स्वयं एक पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक सर्जन हैं, उन्होंने बताया कि रोबोटिक असिस्टेंस से बच्चों के रीढ़ की हड्डी की विकृति, जैसे काइफोसिस या स्कोलियोसिस और जटिल स्पाइन रोगों की सर्जरी को आसान और सुरक्षित रूप से किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एम्स भोपाल का ऑर्थोपेडिक विभाग प्रदेश की जनता को ऐसी सुविधाएं दे रहा है जो कहीं और उपलब्ध नहीं हैं, जैसे कि बोन बैंकिंग सर्विसेज, 3 डी प्रिंटिंग द्वारा सर्जरी, जटिल पीडियाट्रिक सर्जरी, इत्यादि।