मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत का सेहरा किस पार्टी के सिर बंधेगा, इस बात का निर्णय काफी हद तक महिला वोटरों के हाथ में है। पिछले 15 वर्षों के अंतराल में राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या में पुरूषों के मुकाबले तीन गुना वृद्धि हुई है। आगामी विधानसभा चुनावों के नतीजों पर भी महिला मतदाताओं के वोट का खासा प्रभाव पड़ेगा, जो मध्यप्रदेश में वर्ष 2014 के इतिहास को दोहरा सकती हैं। 

प्रदेश में मजबूत होती महिला ब्रिगेड
मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण की योजनाओं का महिलाओं पर खासा असर पड़ा है। महिला मतदाताओं की संख्या पुरूष मतदाताओं के एवज में अधिक होने के साथ ही महत्वपूर्ण यह भी है कि राज्य की महिला ब्रिगेड अब पहले से कहीं अधिक जागरूक और सजग है। महिलाएं अपने वोट का सही इस्तेमाल करना जानती हैं। वर्ष 2007 में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई लाड़ली लक्ष्मी योजना ने बड़ी संख्या में महिला वोटर को भाजपा की ओर मोबलाइज करने का काम किया था। वर्ष 2006 के बाद यदि बात 2023 की करें तो इस बीच मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में महिला एवं बाल कल्याण विकास योजनाओं पर एक बड़ी धनराशि खर्च की जा रही है, जिसमें लाड़ली बहना एक बड़ी उपलब्धि है। इसके साथ ही महिला उद्यम, शिक्षा और आसान ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराने जैसे छोटी जरूरतों को समझकर प्रदेश सरकार महिलाओं की सच्ची हितैषी साबित हुई है। विशेषज्ञों की मानें तो महिलाएं विधानसभा चुनाव में इन सभी उपलब्धियों का जवाब वोट से देंगी, निश्चित रूप से एक महिला सिर्फ महिला होती है, यहां जाति या समुदायों की राजनीति नहीं चलती। इसलिए देखा गया है जिस भी सरकार ने महिलाओं की राहें आसान कीं, उसकी जीत सुनिश्चित हुई है। वर्ष 2020 के एवज में यदि वर्ष 2023 के वित्तीय वर्ष के आंकड़ों की ओर देखें तो सरकार की कमाई का 25 प्रतिशत महिलाओं के हित में शुरू की गईं योजनाओं पर खर्च किया जा रहा है। राज्य सरकार ने कुल बजट का 85000 करोड रुपए लाड़ली लक्ष्मी एवं अन्य योजना में खर्च किया। लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत बहनों को प्रतिमाह 1250 रुपए हस्तांतरित किए गए, जिससे महिलाएं अपनी छोटी-छोटी जरूरतें खुद पूरी कर रही है। भाजपा प्रदेश में इन योजनाओं के माध्यम से महिला वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है।