भोपाल । मध्य प्रदेश में आईएएस, आईपीएस और आईएफएस सर्विस मीट के बाद अब 17वें सिविल सर्विस डे पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों का होने वाला कार्यक्रम चुनाव के चलते टाल दिया गया है। हर साल सिविल सर्विस डे पर आईएएस अफसरों का प्रबोधन कार्यक्रम आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन की ओर से प्रशासन अकादमी में किया जाता था, जिसमें बदलते दौर में आईएएस अफसरों की भूमिका पर एक्सपट्र्स के साथ चर्चा कराई जाती रही है।
मध्यप्रदेश आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जेएन कंसोटिया और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी से बताया कि लोकसभा चुनाव के चलते सभी अधिकारी चुनाव कार्य में व्यस्त हैं। इसलिए इस साल सिविल सर्विस डे कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है। दूसरी ओर, यह बात भी सामने आई है कि एमपी के तीन दर्जन से अधिक आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी दूसरे राज्यों में आब्जर्वर बनकर गए हैं। कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत चुनाव कार्यों में व्यस्त हैं। ऐसे में यहां सिविल सर्विस डे के राज्य स्तरीय कार्यक्रम के लिए अधिकारियों का भी टोटा है। इसके पहले 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी इसी तरह की दिक्कत आई थी। गौरतलब है कि इसके पहले 2023 की आईएएस सर्विस मीट भी विधानसभा चुनावों के कारण टाल दी गई थी। आईएएस आफिसर्स एसोसिएशन ने दिसम्बर में होने वाली मीट को पहले एक माह के लिए टाला था लेकिन बाद में यह साल भर के लिए टाल दी गई। इसी तरह आईपीएस और आईएफएस सर्विस मीट भी 2023 में नहीं हो पाई। इन अधिकारियों की मीट भी बार-बार टलने के बाद सालभर के लिए टाल दी गई है।
2006 में पहला सिविल सर्विस डे आयोजन
देश में सिविल सर्विस डे का पहला आयोजन साल 2006 में 21 अप्रैल को किया गया था जिसके बाद से यह लगातार मनाया जाता रहा है। वर्ष 2020 में कोविड बीमारी के दौरान लॉकडाउन में भी इस सर्विस डे का आयोजन किया था, हालांकि तब इसका आयोजन वर्चुअल रूप से किया था। इसके बाद 2021 में कोरोना के सेकेंड फेज पीक पर होने के कारण सिविल सर्विस डे नहीं मना था। बताया जाता है कि देश के आजाद होने के बाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 21 अप्रैल को ही सिविल सेवकों के पहले बैच को दिल्ली स्थित मैटकाफे हाउस में संबोधित किया था जिसके बाद से यह दिवस मनाया जाने लगा। उन्होंने सिविल सेवकों को भारत का स्टील फ्रेम कहा था।