पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस किसी भी सूरत में जीत हासिल करना चाहती है। अब क्योंकि जमाना डिजिटल का है, इसलिए इस प्लेटफार्म पर कांग्रेस अनर्गल आरोप और एआई तकनीक से तस्वीरों में छेड़छाड़ कर भाजपा को नुकसान पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रही है। हालांकि कांग्रेस के वार रूम का खुलासा होते पार्टी के वरिष्ठ नेता कई तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन सूत्रों की मानें तो इस वार रूम से कांग्रेस ने सबसे पहले फेक कैंपेन चलाने का अभियान शुरू किया, जिसकी पोल खुलते ही कांग्रेस की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।
कांग्रेस पार्टी की आईटी सेल की टीम चुनाव पर दिन रात काम कर रही है, लेकिन इसमें भाजपा को क्षति पहुंचाने के लिए एआई का पूरा इस्तेमाल किया जा रहा है। एआई तकनीक से तस्वीरों और बयानों को इस तरह बदला जा सकता है, जिससे वह सच लगते हैं। कांग्रेस के इस वॉर रूम में कांग्रेस के वोट बैंक को बढ़ाने की जगह भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए अधिक काम किया जा रहा है। हाल ही में कांग्रेस के ऐसे ही एक फेक कैंपेन का खुलासा हुआ। भाजपा की फैक्ट चेक टीम भी सोशल मीडिया की हर पोस्ट पर कड़ी नजर बनाए हुए है, भाजपा की आईटी सेल के मुकाबले कांग्रेस ने वार रूम तो बनाया लेकिन दिशाहीन वॉर रूम का वार अब कांग्रेस पर ही उल्टा पड़ गया है। पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने वार रूम में अप्रशिक्षित सोशल मीडिया प्रबंधन को रखा है जो सकारात्मक की जगह नकारात्मक पब्लिसिटी पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस के वार रूम का खुलासा होते ही पार्टी के अंदर ही शीत युद्ध शुरू हो गया है।
कुछ दिन पहले ही एक गलत सर्वे को लेकर कांग्रेस ने अपना बढ़त बताया था। दरअसल, मप्र कांग्रेस के नेताओं ने जिस ओपिनियन पोल को ट्वीट कर इस वर्ष का चुनावी सर्वे बताकर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने की बात कह रहे हैं, वह सर्वे बहुत पुराना बताया जा रहा है। समाचार चैनल के प्रबंधन ने भी ट्वीटकर स्पष्ट कर दिया कि उनके पुराने ओपिनियन पोल से छेड़छाड़ कर इसे सोशल मडिया में ट्वीट किया । वर्ष 2023 में मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इस तरह का न तो कोई चुनावी सर्वे किया है और न ही ओपिनियन पोल जारी किया है। इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित तमाम भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर हमला बोल दिया ।