कांग्रेस जल्द ही दिल्ली में संगठन का पुनर्गठन करने वाली है
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार तीन बार से एक भी सीट हासिल नहीं करने वाली कांग्रेस जल्द ही दिल्ली में संगठन का पुनर्गठन करने वाली है। ब्लाक और जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक बदलाव किया जाएगा। वहीं, इस बदलाव में युवाओं व पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं को खास तवज्जो दी जाएगी। इसके अलावा पार्टी के तमाम निष्क्रिय प्रकोष्ठों को सक्रिय किया जाएगा।
दरअसल हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गंभीरता से मंथन करने के बाद प्रदेश नेतृत्व अब पार्टी हित में कई कठोर फैसले लेने के पक्ष में है। इस दिशा में अनुशासन का दायरा बढ़ाते हुए पार्टी नेताओं की उस बयानबाजी पर भी रोक लगाई जाएगी, जिससे पार्टी की छवि खराब होती है। हाल ही में नई दिल्ली से कांग्रेस प्रत्याशी संदीप दीक्षित और चांदनी चौक से प्रत्याशी मुदित अग्रवाल की बयानबाजी पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई। इसके अलावा अगले चुनाव के लिए पार्टी बूथ स्तर पर भी अभी से मेहनत शुरू करने की रणनीति बना रही है।
बता दें पार्टी इस बार विधानसभा चुनाव के परिणाम में कई सकारात्मक पहलू देख रही है। पार्टी नेतृत्व का कहना है कि इस बार कांग्रेस ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया था। कई सीटों पर पार्टी का मत प्रतिशत काफी अच्छा रहा है। पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक और मुस्लिमों का वोट जहां कांग्रेस को मिला था, वहीं इस बार आप के पास केवल इसलिए चला गया क्योंकि कांग्रेस उसको सरकार बनाने का भरोसा नहीं दिला पाई।
पार्टी को उम्मीद है कि अगले चुनाव में आप के कमजोर हो जाने पर इस वर्ग का पूरा वोट कांग्रेस के पास आएगा। तब कांग्रेस के खाते में सीटें भी आ जाएंगी। पार्टी में काजी निजामुद्दीन और दानिश अबरार ही नहीं बल्कि ऐसे प्रभारी-सह प्रभारी चाहिए जो संगठन की मजबूती के लिए भी कुछ काम करें। कट वितरण में किसी भी सीट पर पूर्व विधायक या उसके परिवार का अधिकार नहीं माना जाना चाहिए। ऐसा होने पर कार्यकर्ता काम ही करना छोड़ देंगे। वा दल को आरएसएस की तरह पार्टी के लिए काम करने वाली एक मजबूत शाखा बनाया जाना चाहिए।
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि पार्टी में कई स्तरों पर मेहनत और सुधार करने की जरूरत है। इस बार हमने कमजोर होती पार्टी की नींव को मजबूत किया है। अब इस पर मजबूत इमारत खड़ी की जाएगी। आलाकमान से राय मशविरा कर पार्टी अपनी तमाम खामियों को दूर करते हुए अगले चुनाव में बीजेपी से सीधा मुकाबला करेगी और कई सीटें भी जीतेगी।