बेंगलुरु । कर्नाटक में कांग्रेस सरकार और केंद्र के बीच अन्न भाग्य योजना  को लेकर नई खींचतान शुरू हो गई है। एक ओर कांग्रेस  ने केंद्र सरकार के खिलाफ चावल की आपूर्ति से इनकार करने के खिलाफ प्रदर्शन किया, तो वहीं बीजेपी ने कहा कि सिद्धारमैया सरकार अपने वादों को पूरा नहीं कर पा रही है। बीजेपी ने लोगों को पांच किलो अतिरिक्त चावल नहीं मिलने पर कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन किया।
कांग्रेस ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों को चावल की मात्रा पांच किलो से बढ़ाकर 10 किलो प्रति व्यक्ति करने का वादा किया है। हालांकि, राज्य अब तक बीपीएल परिवारों के प्रत्येक सदस्य को केवल पांच किलो चावल ही उपलब्ध करा पाया है, जिसकी आपूर्ति केंद्र द्वारा की जा रही है। केंद्र ने कहा कि वह अतिरिक्त पांच किलो प्रदान नहीं कर सकता है। हालांकि, कर्नाटक सरकार ने कहा कि वह इसे भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय भंडारण निगम और नेफेड जैसे केंद्रीय संस्थानों से खरीदने के लिए तैयार है। 
कर्नाटक चुनाव के लिए कांग्रेस के अभियान के प्रमुख पहलुओं में एक 5 गारंटी स्कीम थी। इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे या सबसे गरीब परिवारों को 10 किलोग्राम चावल देना शामिल था। केंद्र पहले से ही अन्न भाग्य योजना के तहत बीपीएल परिवारों को 5 किलोग्राम चावल दे रहा है।
सिद्धारमैया कैबिनेट का पहला निर्णय चावल योजना सहित कल्याणकारी कदमों को लागू करना था। राज्य ने अनुमान लगाया कि बीपीएल परिवारों को केंद्रीय अनुदान के अलावा अतिरिक्त 5 किलो चावल देने के लिए एक महीने में 2।28 लाख मीट्रिक टन चावल की जरूरत है।
कैबिनेट द्वारा घोषणा किए जाने के तुरंत बाद राज्य सरकार ने 9 जून को एक पत्र लिखकर भारतीय खाद्य निगम से खुले बाजार बिक्री योजना  के माध्यम से चावल खरीदने की मांग की। इसके बाद 12 जून को लिखी एक चिट्ठी में कर्नाटक सरकार ने कहा कि एफसीआई ने 3,400 रुपये प्रति क्विंटल के आरक्षित मूल्य पर चावल की बिक्री को मंजूरी दी है। 
राज्य सरकार ने एफसीआई महाप्रबंधक के चावल की सप्लाई से संबंधित दो आदेश जारी किए हैं। एक आदेश 2,08,425 मीट्रिक टन और दूसरा आदेश 13819 मीट्रिक टन का है। ये दोनों आदेश जुलाई महीने के लिए हैं, क्योंकि अन्न भाग्य योजना 1 जुलाई से शुरू होनी हैं।
केंद्र ने हाल में खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत केंद्रीय पूल से राज्य सरकारों को चावल और गेहूं की बिक्री बंद कर दी है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार, ‘‘राज्य सरकारों के लिए ओएमएसएस (घरेलू) के तहत गेहूं और चावल की बिक्री बंद कर दी गई है।
भारतीय खाद्य निगम  द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, राज्य सरकारों के लिए ओएमएसएस (घरेलू) के तहत गेहूं और चावल की बिक्री बंद कर दी जाती है। लेकिन ओएमएसएस के तहत चावल की बिक्री पूर्वोत्तर राज्यों, पहाड़ी राज्यों और कानून और व्यवस्था की स्थिति का सामना कर रहे राज्यों, प्राकृतिक आपदाओं के लिए 3,400 रुपये प्रति क्विंटल की मौजूदा दर पर जारी रहेगी।
कर्नाटक में सरकार बनने के बाद चावल और गारंटी योजनाओं को लागू करना कांग्रेस सरकार और व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए एक प्रतिष्ठा का मुद्दा है। योजना के रोलआउट में किसी भी चूक का एक बड़ा राजनीतिक नतीजा हो सकता है। जमीनी स्तर पर बीजेपी पहले ही आक्रामक हो चुकी है और राज्य सरकार पर केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 5 किलो चावल को अपनी योजना में शामिल करने का आरोप लगा चुकी है।