जल्द ही आमजन की कलाई पर होगी उज्जैन में बनी डिजिटल वैदिक घडी, जानिए इसकी खासियत और उपयोगिता
उज्जैन । उज्जैन में स्थापित डिजिटल वैदिक घडी आने वाले समय में आमजन की कलाई पर होगी। देश के 12 ज्योर्तिलिंगों पर भी इसे स्थापित किया जाएगा और उसके चार सनातन धर्म के चारों धामों पर भी । यहीं नहीं प्रमुख धार्मिक केंद्रों पर भी इसे स्थापित किए जाने की योजना है । यह कहना है वैदिक घड़ी के प्रणेता डॉ. आरोह श्रीवास्तव, लखनऊ का।
पहली वैदिक घड़ी गउघाट के पास वेधशाला के नजदीक स्थापित
डा.श्रीवास्तव ने उज्जैन में पहली वैदिक घड़ी गउघाट के पास वेधशाला के नजदीक स्थापित की है। उनका कहना था कि एप रूप में हम तैयारी कर चुके हैं और जल्द ही यह आमजन के लिए होगी। इसी तरह से कलाई घडी को लेकर भी आने वाले समय में इसे आमजन के लिए लाया जा रहा है। घरों में वाल वाच के रूप में भी इसे लाने की तैयारी जारी है। डा. श्रीवास्तव ने गुरूवार को उज्जैन के महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा की और वैदिक घडी को लेकर जिज्ञासाओं के उत्तर भी दिए।
30 घंटे का समय दिखाएगी, घड़ी से मुहूर्त भी देख सकेंगे
उनका कहना था कि उज्जैन में बनी वैदिक घड़ी इसलिए महत्वपूर्ण है कि ये एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय के बीच 30 घंटे का समय दिखाएगी। साथ ही इसमें भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के आधार पर 60 मिनट नहीं बल्कि 48 मिनट का एक घंटा तय किया गया है। साथ ही वैदिक समय के आधार पर ही यह घड़ी अलग–अलग मुहूर्त भी दिखाएगी। यह घड़ी पुराने समय में जैसे काल और समय की गणना होती थी, उसी आधार पर गणना करेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए वैदिक घड़ी को बनाया गया है। 30 घंटे वैदिक घड़ी वैदिक गणित के आधार पर काम करती है और घड़ी से मुहूर्त भी देख सकेंगे। इस घड़ी को मोबाइल ऐप से भी संचालित किया जा सकता है।
घड़ी से मुहूर्त भी देख सकेंगे
वैदिक घड़ी प्राचीन भारतीय समय निर्धारण प्रणाली के आधार पर 30 मुहूर्त दर्शाती है। 30 मुहूर्त को 30 काल और 30 काष्ठ में विभाजित किया गया है। 30 मुहूर्त लगातार 2 सूर्योदयों के बीच का समय अंतराल (1 दिन और रात ) 1 मुहूर्त बराबर 30 कला (वर्तमान समय प्रणाली में लगभग 48 मिनट) 1 कला बराबर 30 काष्ठ (लगभग 96 सेकंड) 1 काष्ठ बराबर लगभग 3200 मिली सेकंड । लगातार 2 सूर्योदयों के मध्य की समयावधि परिवर्तनशील होती है जिसके कारण वैदिक घड़ी वर्तमान 24 घंटों में 30 मुहूर्त 30 काल 30 काष्ठ रूपांतरण होता है। 24 घंटों में वैदिक समय प्रणाली अनुमानित है। इसमें पंचांग और मुहूर्त देखने की सुविधा भी है।