देवास ।   दल-बदल की राजनीति कैसी होती है, यह 2018 से 2020 के बीच प्रदेशवासियों ने देखा। सत्ता के सिंहासन पर कांग्रेस काबिज हुई, लेकिन 15 माह बाद दल-बदल की सियासत ने भाजपा के हाथ में सत्ता सौंप दी। ऐसा ही कुछ नजारा अब देवास में दिख रहा है। यहां सत्ता परिवर्तन तो नहीं हुआ, लेकिन बंगला जरूर मिल गया। कांग्रेस सरकार में बंगले की बाट जोह रही जिला पंचायत अध्यक्ष जब तक कांग्रेस में रहीं तब तक बंगला नहीं मिला, लेकिन जैसे ही भाजपा का दामन थामा, बंगले की चाबी मिल गई। दरअसल, जिला पंचायत अध्यक्ष लीला भेरूलाल अटारिया किसी समय कांग्रेस के कद्दावर नेता सज्जनसिंह वर्मा से जुड़ी हुई थीं। कहा तो यह भी गया कि वर्मा ने ही जिपं अध्यक्ष बनवाया। अध्यक्ष बनने के बाद भी अटारिया को देवास में सरकारी बंगला नहीं मिल सका। कई तरह की बातें हुई और कुछ कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगे कि उनके कारण बंगला नहीं मिल सका। कुछ दिन बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

वर्मा से अनबन के बाद भाजपा में आए अटारिया

जिला पंचायत अध्यक्ष लीला के पति भेरूलाल अटारिया पुलिस सेवा में थे। बाद में राजनीति में आ गए। विधानसभा टिकट मांगा तो वर्मा से अनबन हो गई। बात इतनी बढ़ी कि अटारिया का कांग्रेस से मोह भंग हो गया। विधानसभा चुनाव से पहले अटारिया भाजपा में आ गए। इसके बाद अटारिया और वर्मा के बीच खूब जुबानी जंग चली। रुपये के लेनदेन के आरोप लगे।

मानहानि के नोटिस तक जा पहुंची बात

सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी भी मौके को भांपकर मैदान में कूदे और अटारिया के पक्ष में बयान देने लगे। मानहानि के नोटिस तक बात पहुंची। कुछ दिनों तक दोनों ओर से सियासी वार-पलटवार हुए और बाद में दोनों पक्ष शांत हो गए। भाजपा ने सोनकच्छ विधानसभा सीट से टिकट फाइनल कर दिया तो वे अटकलें भी खत्म हो गई कि अटारिया को टिकट मिलेगा। इसके बाद से अटारिया शांत होकर बैठ गए।

भाजपा जिलाध्यक्ष ने सौंपी चाबी

बंगले की बाट जोह रहे अटारिया को मंगलवार को चाबी मिली। जब भाजपा में गए थे तो पहला सवाल यही पूछा गया कि क्या अब बंगला मिल जाएगा। इस पर भाजपा नेताओं ने कहा था कि बंगला भी मिलेगा और सम्मान भी। हालांकि, बंगला आचार संहिता से पहले ही अलाट हो चुका था, लेकिन अटारिया ने प्रण लिया था कि जब तक सोनकच्छ सीट से सज्जनसिंह वर्मा हार नहीं जाते, तब तक बंगले में नहीं जाएंगे। इस बार वर्मा की हार हुई और अटारिया ने मंगलवार को भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव खंडेलवाल, देविप्रा अध्यक्ष राजेश यादव, विधायक मनोज चौधरी की मौजूदगी में बंगले की चाबी ली।