जबलपुर । श्रेया खंडेलवाल अजय कुमार घोष के परिवार के विवाह के कार्यक्रम में शामिल होने गई थी। उसने देखा कि दूल्हा दीपांशु तथा दुल्हन बिपाशा रक्तदान कर रहे हैं और मेहमानों से भी भोजन के उपरांत स्वेच्छिक रक्तदान का उपहार देने के लिए निवेदन कर रहे हैं जिससे गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सके। किसी परिणय कार्यक्रम में यह अनोखा अद्वितीय दृश्य परिलक्षित हो रहा था। अनेक मेहमान ब्लड डोनेशन करने लगे। इससे प्रेरित होकर श्रेया ने १९ वर्ष की उम्र में अपना चौथा रक्तदान किया। इससे अत्यंत आत्मसंतोष का अनुभव हुआ। वास्तव में थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया,कैंसर, डेंगू, रक्ताल्पता वाली गर्भवती महिलाओं, गंभीर दुर्घटना, सर्जरी आदि के मामलों में देश में रक्त की इतनी अधिक आवश्यकता पड़ती है कि केवल पुरुष रक्तदाताओं से ही पूर्ति संभव नहीं है। हालांकि कुछ महिलाएं भी। पूर्ण लगन,समर्पण और वीरता के साथ अपनी सेवाएं दे रही हैं। लेकिन यह संख्या सीमित है। महिलाओं को भी बड़ी संख्या में रक्तदान करने आगे आना होगा -- ताकि केवल ख़ून की कमी से कभी किसी की जान न जाए।