सब्जी हो या खाने के साथ परोसा जाने वाला रायता, बिना तड़के के दोनों का ही स्वाद अधूरा बना रहता है। तड़का न सिर्फ भोजन का स्वाद दोगुना कर देता है बल्कि अपने औषधीय गुणों की वजह से सेहत को भी फायदा पहुंचाता है। भारत के हर राज्य में भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए अलग-अलग तरह के तड़के लगाए जाते हैं।
रायता तड़का - दहीं से तैयार रायते जैसे कि लौकी रायता, बूंदी रायता या वेज रायता में तड़का लगाने के लिए सबसे पहले कोई भी घी या तेल में हींग, राई, जीरा और करीपत्ते का तड़का लगाने से रायते में एरोमा और स्वाद आ जाता है। इसके अलावा आप मिट्टी की कटोरी में कोयला रखकर रायते को स्मोकी फ्लेवर भी दे सकते हैं।
पंचफोरन तड़का - यह मुख्य रूप से असम, बंगाल, महाराष्ट्र और पूर्वी भारत के क्षेत्र में चिकन करी, मछली, दाल, शुक्तो और अन्य सब्जियों में लगता है। इस तड़के में मेथीदाना, राई, सौंफ, जीरा व कलौंजी यह पांच मसाले होते हैं, जिनको बिना पीसे ही साबुत प्रयोग में लाया जाता है। यह तड़का आमतौर पर सरसों के तेल में तैयार होता है।
नवरतन तड़का - इस तड़के का प्रयोग दलिया, राजमा, आलू सब्जी और दाल में किया जाता है। इसको लगाते समय ड्राई लाल मिर्च, चकरी फूल, उड़द दाल, साबुत धनिया, करीपत्ता, मटन मसाला और कच्चे नारियल को इस्तेमाल किया जाता है।
चटपटा अचारी तड़का - दही वाले आलू, पापड़ कढ़ी, खिचड़ी, स्प्राउट्स, रायते आदि में यह तड़का लगाया जाता है। इसमें कलौंजी, मेथीदाना, सौंफ, अजवायन, राई, हींग, लाल मिर्च और कसूरी मेथी शामिल की जाती है।
कसूरी मसाला तड़का - तवा पनीर, स्टफ्ड वेजिटेबल्स और सूखी सब्जियों में यह तड़का लगाया जाता है। तड़के की बाकी सामग्री के साथ इसमें अजवायन, कसूरी मेथी, लौंग और बड़ी इलायची का डाला जाता है।